एनजीटी का डंडा, अस्पताल में बन रहा गड्ढा
एनजीटी की जांच में कूड़ा निस्तारण की उचित व्यवस्था न पाए जाने पर संस्था संचालक पर तीन से पांच लाख व संबंधित जिले के मुख्य चिकित्सालय अधिकारी पर एक करोड़ का जुर्माना होने की घटना से अधिकारी सकते में हैं।
बलरामपुर :चिकित्सालय से निकलने वाले अस्पताली कचरा (बायो मेडिकल वेस्ट) को लेकर राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) के सख्त होते ही स्वास्थ्य विभाग की नींद खुल गई है। एनजीटी की जांच में कूड़ा निस्तारण की उचित व्यवस्था न पाए जाने पर संस्था संचालक पर तीन से पांच लाख व संबंधित जिले के मुख्य चिकित्सालय अधिकारी पर एक करोड़ का जुर्माना होने की घटना से अधिकारी सकते में हैं। ऐसी कार्रवाई से बचने के लिए विभाग ने 12 चिकित्सालय (तीन जिला व नौ ब्लॉक स्तरीय) में अस्पताली कचरे को अलग-अलग रखने के लिए स्टोरेज सेंटर का निर्माण शुरू करा दिया है। जिससे बायोमेडिकल वेस्ट परिसर में न फैले। सीएमओ ने निजी अस्पताल, नर्सिंग होम, क्लीनिक व पैथोलॉजी संचालकों को भी नोटिस जारी कर कूड़ा निस्तारण का एनजीटी से स्वीकृत प्रमाण पत्र लेने का आदेश दिया है। ऐसा न करने वालों का लाइसेंस निरस्त करते हुए उनके खिलाफ कार्रवाई की चेतावनी भी दी है। सीएचसी उतरौला में स्टोरेज सेंटर का निर्माण भी शुरू हो गया है। यहां होगा निर्माण :
- मुख्यालय पर जिला मेमोरियल, महिला व संयुक्त जिला चिकित्सालय में बायो मेडिकल वेस्ट रखने के लिए तीन गड्ढे वाला स्टोरेज सेंटर बनना है। इसी तरह सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र नंदनगर, श्रीदत्तगंज, शिवपुरा, तुलसीपुर, पचपेड़वा, गैंसड़ी, उतरौला, गैंड़ासबुजुर्ग व रेहराबाजार में स्टोरेज प्रस्तावित है। जहां तीन तरह का कचरा रखा जाएगा। अस्पताली कचरा उठाने के लिए नामित संस्था यहीं से कूड़ा उठाकर ले जाएगी। बंद होंगे संस्थान :
- सीएमओ डॉ. घनश्याम सिंह का कहना है कि स्वास्थ्य केंद्र के साथ निजी नर्सिंग होम संचालकों को भी कूड़ा निस्तारण की उचित व्यवस्था करने का आदेश दिया गया है। बिना उचित कूड़ा प्रबंधन संचालित होने वाले केंद्रों को शीघ्र बंद कराया जाएगा।