..तो यहां घर में बनाई जाती है ताजिया
तुलसीपुर (बलरामपुर) नगर में एक ऐसा मुहल्ला है, जहां सभी घरों में ताजिया बनाई जाती हैं
तुलसीपुर (बलरामपुर)
नगर में एक ऐसा मुहल्ला है, जहां सभी घरों में ताजिया बनाई जाती हैं। इसीलिए इस मुहल्ले का नाम भी ताजिया मुहल्ला पड़ गया। दूरदराज जिलों से लोग ताजिया की खरीदारी करने आते हैं, जिन्हें सस्ते दर पर ताजिया दी जाती है। इससे लोग अपना जीविकोपार्जन करते हैं। नगर के पुरवा वार्ड के इस मुहल्ले के करीब 100 परिवार की 500 की आबादी कमाई का जरिया ताजिया है। यहां ताजिया बनाने का काम प्रसिद्ध है। इस मुहल्ले को ताजिया वाला मुहल्ला कहा जाता है। यहां जिस घर में भी नजर जाती है। पूरा परिवार ताजिया बनाने में जुटा मिलता है। बड़े और बच्चे सभी ताजिया बनाने में जुटे हैं। कोई तीलियों से ताजिया को आकार दे रहा है तो महिलाएं कागज लेकर उसको आकर्षक बनाने में जुटी है। गौरतलब तो यह है कि यहां का ताजिया जनपद सिद्धार्थनगर से श्रावस्ती तक जाता है। इसके अलावा बढ़नी, गौरा, ललिया, मथुरा, महाराजगंज, जरवा, गैंसड़ी एवं पचपेड़वा तक यहां की बनी ताजिया को पसंद करते हैं। ऊंचे दामों में खरीद कर ले जाते हैं। करीब 40 साल से ताजिया बनाकर अपना जीविकोपार्जन करने वाले 70 वर्षीय इदरीश कहते हैं की इसके अलावा उनके पास कमाने का कोई जरिया नहीं है। वह पूरा साल इंतजार करते हैं। जिसमें उनकी 60 से 70 हजार रुपए की कमाई हो जाती है। रेशमा बानो कहती हैं कि वह सभी लोग ताजिया बनाना जानती हैं। वह कहती हैं कि एक हजार से लेकर डेढ़ लाख रुपये तक की ताजिया वह लोग यहां तैयार करते हैं। गुड़िया कहती है कि महंगाई का जमाना है। ताजिया बनाने में लागत ज्यादा आती है। मुनाफा अब कम हो पाता है, लेकिन इसके अलावा उनके पास कोई रोजगार भी नहीं है। नसीम कहते हैं कि उनके हाथों का बनाया ताजिया दूर-दूर तक लोगों को पसंद आती है, जिससे यहां आकर लोग खरीदारी करते हैं। मुहर्रम के एक दिन पहले तक ताजिया की बिक्री होती है।