शौचालय व सफाई बदहाल, गंदगी से जूझ रहे नौनिहाल
बलरामपुर: स्वच्छ सर्वेक्षण ग्रामीण खत्म होने में अब सिर्फ तीन दिन बचे हैं लेकिन, स्कूलों को स्वच्छ
बलरामपुर: स्वच्छ सर्वेक्षण ग्रामीण खत्म होने में अब सिर्फ तीन दिन बचे हैं लेकिन, स्कूलों को स्वच्छ बनाने में जिम्मेदारों ने कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई। सर्वेक्षण में शौचालय व उसके उपयोग पर अंक निर्धारित होने के बाद भी इसे नजरअंदाज कर दिया गया है। आज भी अधिकांश परिषदीय स्कूलों में गंदगी का बोलबाला है। गंदगी के कारण शौचालय निष्प्रयोज्य साबित हो रहे हैं। वहीं मध्याह्न भोजन बनने वाले स्थान के आसपास भी गंदगी बिखरी रहती है। जिससे नौनिहालों में बीमारियां पनपने की आशंका बनी रहती है। ग्राम प्रधान व सचिव की मेहरबानी से सफाईकर्मी अपनी मनमानी पर आमादा हैं। ऐसे में स्वच्छता में अच्छी रैं¨कग की उम्मीद नजर नहीं आ रही है। जिले में 1575 प्राथमिक व 646 जूनियर हाईस्कूल हैं। अधिकांश परिषदीय स्कूलों के शौचालय बदहाल हैं। कई स्कूल ऐसे भी हैं जहां शौचालय ही नहीं हैं। हरैया सतघरवा क्षेत्र के उच्च प्राथमिक विद्यालय लालपुर विशुनपुर, सिटकिहवा, हाथीगर्दा, रेहराबाजार में उच्च प्राथमिक विद्यालय सरायखास, प्रावि देवीखेरा, उतरौला के प्रावि अमया व सदर शिक्षा क्षेत्र के प्रावि कतवरिया में शौचालय बदहाल है। इसी तरह तुलसीपुर शिक्षा क्षेत्र के प्रावि विशुनपुर निवारी, प्रावि सुखरामपुर, विश्रामपुर में गंदगी का अंबार लगा हुआ है। ये विद्यालय तो महज बानगी भर हैं। सरकारी स्कूलों में बने शौचालयों की बदहाल स्थिति को सुधारने के बजाय अफसर कागजी घोड़ा दौड़ा रहे हैं, जिससे नौनिहालों को गंदगी के बीच पढ़ने को मजबूर होना पड़ रहा है। साथ ही शौचालय विहीन विद्यालयों में निर्माण न होने से गांव के खुले में शौचमुक्त होने के दावे की भी हवा निकल रही है। बीएसए हरिहर प्रसाद का कहना है कि जिले में 60 स्कूल शौचालय विहीन हैं। जिनका निर्माण ग्राम पंचायतें करा रहीं हैं। करीब 400 जर्जर शौचालयों के मरम्मत की प्रक्रिया चल रही है।