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इंतेहा हो गई इंतजार की..

श्रीदत्तगंज (बलरामपुर) क्षेत्र के गुमड़ी गांव में सोमवार को आयोजित चौपाल एक बार फिर अव्यवस्थाअ

By JagranEdited By: Published: Tue, 28 Aug 2018 12:11 AM (IST)Updated: Tue, 28 Aug 2018 12:11 AM (IST)
इंतेहा हो गई इंतजार की..
इंतेहा हो गई इंतजार की..

श्रीदत्तगंज (बलरामपुर)

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क्षेत्र के गुमड़ी गांव में सोमवार को आयोजित चौपाल एक बार फिर अव्यवस्थाओं की भेंट चढ़ गई। सांसद, डीएम समेत अन्य जिला स्तरीय अधिकारियों को चौपाल में आना था लेकिन, वे नहीं पहुंचे। कार्यक्रम में अपनी समस्याएं बताने के लिए पहुंचे गांव के बुजुर्ग अफसरों की राह देखते रहे। खास बात यह है कि इस गांव को सांसद श्रावस्ती दद्दन मिश्र ने गोद ले रखा है। बावजूद इसके जिला स्तरीय अधिकारियों ने यहां आयोजित चौपाल में पहुंचना मुनासिब नहीं समझा। किसी जनप्रतिनिधि व अधिकारी के न पहुंचने से मायूस फरियादियों को बैरंग लौटने को मजबूर होना पड़ा। दो बजे के बाद कार्यक्रम के लिए लगवाए गए टेंट उजाड़ दिए गए। बीडीओ अशोक कुमार दूबे ने बताया कि अधिकारियों की व्यस्तता के चलते कार्यक्रम निरस्त कर दिया गया। ग्रामीणों का छलका दर्द :-बुजुर्ग लालमती, प्यारी, मुन्ना देवी, श्यामकला, हरिराम, चंद्रिका, कृष्ण कुमार, विजय बहादुर, जयभान लाठी टेककर सांसद व डीएम को अपनी समस्या बताने के लिए पहुंचे थे। बताया कि गांव में 22 पुरवे हैं। जो लोहिया समग्र ग्राम में चयनित होने के बाद भी विकास से महरूम हैं। गांव के विकास के लिए पहले जिलाधिकारी व बाद में सांसद ने इसे गोद लिया था। नाली, खड़ंजा, बिजली, पेयजल, शौचालय, सड़क जैसी मूलभूत सुविधाओं को ग्रामीण तरस रहे हैं। विधवा, वृद्धा व दिव्यांग पेंशन समेत आवास की सुविधा भी नहीं मिल सकी है। पात्रों को राशनकार्ड भी नहीं मिल सका है। जब पता चला कि सांसद व जिलाधिकारी कृष्णा करुणेश यहां आ रहे हैं तो अपनी समस्या बताने पहुंचे थे लेकिन, सुबह दस बजे से इंतजार के बाद निराशा हाथ लगी। पहले भी स्थगित हो चुकी है चौपाल :-ग्राम प्रधान प्रतिनिधि ध्रुव कुमार यादव ने बताया कि 22 अगस्त को भी गांव में चौपाल लगनी थी लेकिन, अफसरों व जनप्रतिनिधियों ने इसमें दिलचस्पी नहीं दिखाई। जिससे चौपाल स्थगित हो गई। इसी तरह सोमवार को चौपाल की तिथि तय की गई थी लेकिन, इस बार भी अफसरों के न आने से कार्यक्रम स्थगित हो गया। कहाकि विकास कार्यों के लिए कई प्रस्ताव विभागों में लंबित हैं। जिससे गांव का विकास नहीं हो पा रहा है।


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