ललिया गांव में है अंग्रेजों के जमाने का थाना
बलरामपुर विकास खंड हरैया सतघरवा का गांव ललिया लाली नाम की महिला के नाम से जाना जाता है
बलरामपुर
विकास खंड हरैया सतघरवा का गांव ललिया लाली नाम की महिला के नाम से जाना जाता है। यह ललिया-हरिहरगंज मार्ग पर बसा है। गांव के पांच मजरे ललिया, नईबस्ती, राजीपुर, नरायनपुर व मुरिहवा है। ग्राम पंचायत की करीब पांच हजार आबादी के सापेक्ष 2700 मतदाता हैं। ललिया न्याय पंचायत भी है, जिसके अंतर्गत छह ग्राम पंचायतें हैं।
यह है खूबी :
-गांव में अंग्रेजों के जमाने का थाना अब भी मौजूद है। परिषदीय विद्यालय के सामने खेल मैदान, वैकल्पिक ऊर्जा के तौर पर 30 किलोवाट का प्लांट व पेट्रोल पंप स्थित है। बलरामपुर राजपरिवार द्वारा बनवाए गए 50 फीट ऊंचे शिवालय के साथ ही जय मोहन दास बाबा का भव्य मंदिर व पोखरा श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है। यहां हर वर्ष होने वाला श्रीकृष्ण जन्मोत्सव मेला विख्यात है।
आधारभूत ढांचा
-गांव में दो प्राथमिक, एक उच्च प्राथमिक विद्यालय व दो आंगनबाड़ी केंद्र है। पंचायत भवन, साधन सहकारी समिति, ग्रामीण बैंक, थाना, एएनएम सेंटर व राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय है। गांव में जाने के लिए 200 मीटर सीसी रोड, खड़ंजा व नाली निर्मित है।
इन पर है नाज है :
-बाबूराम प्रवक्ता, सियाराम अध्यापक, रामतेज आर्य ¨सचाई विभाग कर्मचारी, चंद्रमणि शुक्ल बैंक मैनेजर, नीरज कुमार डॉक्टर, पंकज चौधरी अध्यापक, विजय चौधरी अध्यापक, हुकुम, राजेंद्र द्विवेदी, राकेश मिश्र, अर¨वद मिश्र व ओमकार नाथ ने अधिवक्ता बनकर गांव का मान बढ़ाया।
ये हो तो बने बात :
-गांव में इंटरमीडिएट स्तर तक विद्यालय की आवश्यकता है। सभी मजरों का विद्युतीकरण नहीं हो सका है। रोडवेज बसों की संख्या कम है। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के निर्माण व आयुर्वेदिक अस्पताल को निजी भवन की दरकार है। एएनएम की तैनाती, एटीम मशीन, पशु अस्पताल व डिग्री कॉलेज का निर्माण होने से क्षेत्र का विकास और तेजी से हो सकता है।
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-गांव में नाली निर्माण व पंचायत भवन की मरम्मत कराई गई है। शौचालय का निर्माण चल रहा है। पौधरोपण कराया गया है। लोगों को आवास भी दिलाए गए हैं। -मोहिनी देवी, ग्राम प्रधान
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-गांव का अपेक्षित विकास नहीं हो पा रहा है। सफाई न होने से चारों ओर गंदगी की भरमार है। जलनिकासी के लिए नालियों का निर्माण कराने की आवश्यकता है। -पंकज चौधरी, पूर्व प्रधान
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- गांव में उच्च शिक्षा के लिए विद्यालय की आवश्यकता है। साथ ही तकनीकी शिक्षा के लिए प्रशिक्षण केंद्र व खेल प्रशिक्षकों की तैनाती होनी चाहिए। -अनुप्रिया द्विवेदी, छात्रा - गांव में रोजगार की व्यवस्था होनी चाहिए। जिससे युवा पीढ़ी शहर व महानगरों की ओर भागने के बजाए घरों में लघु उद्योग स्थापित कर सके। -मनीष पाठक, ग्रामीण