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देश की सुरक्षा का मुद्दा तय करेगा प्रधानमंत्री

वक्त दोपहर एक बजे। सदर तहसील परिसर में अधिवक्ता छप्पर के नीचे बैठे चुनावी चर्चा में मशगूल थे। पेशी की तारिख की जानकारी कर ठेले पर बेल का शर्बत व होटल पर चाय पीने के लिए वादकारी एकत्र थे। इसीबीच अधिवक्ताओं के गोल से सत्यदेव तिवारी ने चाय का आर्डर करते हुए कहाकि भाई इसबार तो चुनाव का रंग अभी समझ में नहीं आ रहा है लेकिन घोषणा पत्र को लेकर बवाल मचा है। राष्ट्रद्रोह कानून में संशोधन का मुद्दा अधिक गर्म है। देश की सुरक्षा का मुद्दा ही प्रधानमंत्री तय करेगा।

By JagranEdited By: Published: Thu, 11 Apr 2019 11:14 PM (IST)Updated: Fri, 12 Apr 2019 06:17 AM (IST)
देश की सुरक्षा का मुद्दा तय करेगा प्रधानमंत्री
देश की सुरक्षा का मुद्दा तय करेगा प्रधानमंत्री

अमित श्रीवास्तव, बलरामपुर :

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वक्त दोपहर एक बजे। सदर तहसील परिसर में अधिवक्ता छप्पर के नीचे बैठे चुनावी चर्चा में मशगूल थे। पेशी की तारीख की जानकारी कर ठेले पर बेल का शर्बत व होटल पर चाय पीने के लिए वादकारी एकत्र थे। इसी बीच अधिवक्ताओं के गोल से सत्यदेव तिवारी ने चाय का ऑर्डर करते हुए कहाकि भाई इस बार तो चुनाव का रंग अभी समझ में नहीं आ रहा है, लेकिन घोषणा पत्र को लेकर बवाल मचा है। राष्ट्रद्रोह कानून में संशोधन का मुद्दा अधिक गर्म है। देश की सुरक्षा का मुद्दा ही प्रधानमंत्री तय करेगा।

कुर्सी पर बैठे कमलेश्वर सिंह कहते हैं कि देश पहले है। उसके बाद राजनीति। पीएम नरेंद्र मोदी ने सेना के लिए सुविधाएं व संसाधन मुहैया कराने का वादा कर राष्ट्रद्रोह कानून में बदलाव करने वालों को सबक सिखाया है। राजेंद्र प्रसाद द्विवेदी ने कहाकि जनता हर माह 72 हजार मांग रही है। यहां सरकार बनाने का दावा करने वाले प्रमुख दल गरीबों को साल में इतना देने का वादा कर रहे हैं। ऐसे कहां काम चलेगा। श्रवण कुमार श्रीवास्तव ने आवाज तेज करते हुए कहाकि भाजपा ने छोटे कारोबारियों को पेंशन देने का वादा कर नया दांव चल दिया है। किसानों को भी पेंशन की दूसरी किस्त देकर उनके अच्छे दिन ला दिए हैं। इतने में चाय लेकर वेटर आ गया। सूर्य प्रकाश ने कहाकि देश की असल समस्या तो बेरोजगारी है। जिसे दूर करने की घोषणा कोई दल नहीं कर रहा है। खाली गिलास नीचे रखते हुए जैनुल आबदीन ने कहाकि कानून कोई गलत नहीं है। उसका अनुपालन सही होना चाहिए।

रोशन जमा कहते हैं कि राजनीति सभी करते हैं, लेकिन देश की रक्षा व एकता को ठेस पहुंचाने वाली नेतागीरी ठीक नहीं। इतने में सिद्धार्थ पांडेय बोले कि पार्टियों में विचारधारा की लड़ाई ठीक है, लेकिन देश की सुरक्षा व सेना का मनोबल गिराने वाला कदम कोई बर्दाश्त नहीं करेगा। कुर्सी से खड़े होते हुए रईश कहते हैं कि सभी दल वादा कर अपना मकसद हल करने में लगे हैं। इस तरह की चुनावी चर्चाएं चौक चौराहों व कचहरी में आम हो रही हैं।


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