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मां के जयकारों की गूंज में चुनाव का शोर

रमन मिश्र बलरामपुर समय सुबह के साढ़े नौ बजे। शक्तिपीठ देवी पाटन मंदिर में दर्शन करने वालों की लंबी कतार व नेपाल से आई पीर रत्ननाथ पात्र देवता के स्वागत को उमड़ा सैलाब से मां के जयकारे की गूंज पूरे वातावरण को भक्तिमय कर दिया। दर्शन करके निकलने वाले श्रद्धालु हरैया मार्ग पर एक दुकान पर बैठे चाय की चुस्की के साथ चुनावी चर्चा में प्रधानमंत्री तय कर रहे थे।

By JagranEdited By: Published: Wed, 10 Apr 2019 10:13 PM (IST)Updated: Thu, 11 Apr 2019 06:24 AM (IST)
मां के जयकारों की गूंज में चुनाव का शोर
मां के जयकारों की गूंज में चुनाव का शोर

रमन मिश्र, बलरामपुर :

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समय सुबह के साढ़े नौ बजे। शक्तिपीठ देवी पाटन मंदिर में दर्शन करने वालों की लंबी कतार व नेपाल से आई पीर रत्ननाथ पात्र देवता के स्वागत को उमड़े सैलाब से मां के जयकारे की गूंज ने पूरे वातावरण को भक्तिमय कर दिया। दर्शन करके निकलने वाले श्रद्धालु हरैया मार्ग पर एक दुकान पर बैठे चाय की चुस्की के साथ चुनावी चर्चा में प्रधानमंत्री तय कर रहे थे।

बेंच पर बैठे राधेश्याम मौर्य चाय व नमकीन का ऑर्डर करते हुए कहते हैं कि देश की सुरक्षा के लिए पीएम नरेंद्र मोदी ने बहुत काम किया है। सेना के लिए सुविधाएं व संसाधन मुहैया कराने का वादा करके राष्ट्रद्रोह की धारा में बदलाव करने वालों को सबक सिखाया है। देश पहले है। उसके बाद राजनीति होनी चाहिए। इसी बीच वेटर पहाड़ी चाय देते हुए कहता है कि साहब हम लोगों को 72 हजार रुपये महीना देने की व्यवस्था करने की घोषणा कोई नहीं कर रहा है। सभी लंबी-लंबी बातें कर रहे हैं। सुना है कि भाजपा ने छोटे कारोबारियों को पेंशन देने का वादा किया है। जिससे लग रहा है कि अच्छे दिन आ जाएंगे। बगल में बैठे जितेंद्र कुमार पांडेय ने कहाकि बेरोजगारी दूर करने की घोषणा नहीं की जा रही है। जो देश का मुख्य मुद्दा है, लेकिन इसे कोई नहीं उठा रहा है। छोला भटूरा की थाली अपने तरफ सरकाते हुए सूरज लाल आवाज तेज करते हुए कहते हैं कि राष्ट्रद्रोह की धारा से छेड़छाड़ बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। राजनीति सभी करते हैं, लेकिन देश की रक्षा व एकता को ठेस पहुंचाने वाली नेतागीरी ठीक नहीं। देश किसके हाथ में सुरक्षित इसे जनता जानती है। अब कोई गुमराह नहीं होगा। इतने में शंकर प्रजापति बोले कि पार्टियों में विचारधारा की लड़ाई हो सकती है, लेकिन देश की सुरक्षा से समझौता नहीं किया जा सकता है। इस तरह की चुनावी चर्चाएं चौक चौराहों पर आम हो रही हैं।


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