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Sanskaarshala: बच्चों के हाथ का खिलौना बन गया है मोबाइल, लत छुड़ाने के लिए उन्हें सुनाएं ये प्रेरक कहानी

बच्चों में मोबाइल की लत दिन-पर-दिन बढ़ती ही जा रही है। बच्चे इंटरनेट मीडिया पर फोटो और वीडियो डालने के लिए तरह-तरह के स्टंट करते हैं और दुर्घटना के शिकार होते हैं। माता-पिता को उनकी इस लत को बदलना होगा। इसके लिए उन्हें प्रेरक कहानियां सुनापने की जरूरत है।

By Vrinda SrivastavaEdited By: Published: Wed, 14 Sep 2022 04:56 PM (IST)Updated: Wed, 14 Sep 2022 04:56 PM (IST)
Sanskaarshala: बच्चों के हाथ का खिलौना बन गया है मोबाइल, लत छुड़ाने के लिए उन्हें सुनाएं ये प्रेरक कहानी
बच्चों के हाथ का खिलौना बन गया है मोबाइल.

बलरामपुर, जागरण संवाददाता। आज के आधुनिक युग में जब दुनिया तेजी से भाग रही थी, ऐसे में वैश्विक महामारी कोरोना में सब कुछ थम गया था। अभिभावकों को न चाहते हुए भी अपने बच्चों को मोबाइल देना पड़ा, ताकि वे अपनी पढ़ाई जारी रख सकें। कुछ समय की आनलाइन कक्षाओं के बाद यही मोबाइल बच्चों के हाथ का खिलौना हो गया। बच्चे इंटरनेट मीडिया पर फोटो और वीडियो डालने के लिए तरह-तरह के स्टंट करते हैं और दुर्घटना के शिकार होते हैं।

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फेसबुक पर जहां लोग नकली अकाउंट बना कर ठगी करते हैं, बच्चे इनका आसान टारगेट होते हैं। ऐसे लोग अपना छद्म परिचय, नकली तस्वीर लगाकर बच्चे-बच्चियों को फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजते हैं। इसके बाद उनसे मेल-मुलाकात करके उनका तरह-तरह से शोषण करते हैं। दैनिक जागरण की संस्कारशाला में डिजिटल संस्कार के अंतर्गत प्रकाशित क्षमा शर्मा की कहानी ‘इंटरनेट मीडिया पर अनावश्यक दिखावा’ बच्चों के लिए एक चेतावनी है।

कहानी का पात्र विवेक जो कि कक्षा नौ का छात्र है, उसके दोस्त अन्नू (जो एक फुटबाल खिलाड़ी भी है) के माता-पिता देर रात उसके घर आते हैं। उनसे अन्नू के लापता होने की सूचना मिलती है। जब अन्नू के पापा पूछते हैं कि वह किस-किस से बातें करता था या किसी बाहर वाले व्यक्ति से मिलता हो, तब विवेक उन्हें बताता है कि एक नंबर से उसे फोन आया था, जो अन्नू का फेसबुक फ्रेंड है।

इसी क्रम में पता चलता है कि इस अनजान व्यक्ति ने अपने को फुटबाल खिलाड़ी बताते हुए फेसबुक के माध्यम से अन्नू से संपर्क बनाया फिर अपनी चिकनी-चुपड़ी बातों से उसे इतना प्रभावित किया कि उसके उधार मांगने पर उसे अन्नू ने 10 हजार रुपये अपनी मां के कार्ड से निकाल कर दे दिया। जब उसे पैसे वापस नहीं मिले तो वह ग्लानि से भर गया कि फुटबाल के चक्कर में उसने अपने मम्मी-पापा के साथ धोखा किया।

अन्नू घर से बिना बताए कहीं चला गया। वह तो अच्छा हुआ कि समय रहते पुलिस ने उसे ढूंढ लिया। अन्नू पछतावे में रो रहा था और सब उसे समझा रहे थे कि जो हुआ उसे भूल जाओ। अन्नू की वापसी की खबर से विवेक खुशी से नाच उठा। इस सारगर्भित कहानी के माध्यम से बच्चों को इंटरनेट मीडिया पर अनावश्यक दिखावा करने से क्या परेशानियां हो सकती हैं, यह बखूबी बताया गया है।

दैनिक जागरण की संस्कारशाला में डिजिटल संस्कार के अंतर्गत प्रकाशित यह कहानी बच्चों, अभिभावकों और हम सभी के लिए चेतावनी है। ऐसी उपयोगी पठन सामग्री के लिए कथाकार और दैनिक जागरण को साधुवाद। (लेखक जीसस एंड मैरी स्कूल एंड कालेज की प्रधानाचार्य कैथरीन बटरफील्ड हैं।)


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