बढ़ रही हाइपोथर्मिया बीमारी, बच्चों का ठंड से बचाव है जरूरी
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चित्र परिचय : 06 बीएलएम 37 - सब हेड : अस्पताल में भर्ती हो चुके हैं 150 से अधिक नवजात, बीमार बच्चों का त्वरित कराएं उपचार संवादसूत्र, बलरामपुर :
ठंड के मौसम में नवजात में हाइपोथर्मिया (ठंडा बुखार) तेजी से फैल रहा है। जिसका कारण देखभाल के अभाव में नवजात के शरीर पर ठंड का प्रभाव पड़ना है। जिसमें उनके शरीर का तापमान 36.5 डिग्री से नीचे आ जाता है। प्रतिदिन महिला अस्पताल के सिक न्यू बॉर्न केयर यूनिट (एसएनसीयू) में इसके तीन से चार मरीज भर्ती हो रहे हैं। समय पर उपचार न मिलने से नवजात की जान भी जा सकती है। चिकित्सक बताते हैं कि कम वजन व निर्धारित अवधि से पहले जन्म लेने वाले बच्चों में यह बीमारी अधिक प्रभावी है। दो माह में 150 से अधिक नवजात इसकी चपेट में आ चुके हैं। बीमारी के लक्षण :
- इस बीमारी में नवजात के पैर का तलवा व हाथ का पंजा ठंडा होने लगता है। साथ ही बच्चा सुस्त होकर दूध पीना छोड़ देता है। बीमारी बढ़ने पर उसका शरीर नीला पड़ने के साथ धड़कन की गति भी धीमी हो जाती है। बच्चों में ऐसे लक्षण दिखने पर उनके शरीर के तापमान को कंगारू की तरह मां की त्वचा से चिपकाकर नियंत्रित करें। जानलेवा हो सकती है बीमारी
- बाल रोग विशेष डॉ. सुनील कुमार गुप्त का कहना है कि शरीर का तापमान 36.5 डिग्री से कम होने पर नवजात हाइपोथर्मिया की चपेट में आते हैं। बीमारी बढ़ने पर उनकी मौत भी हो सकती है। बचाव के लिए बच्चों को गर्म कपड़े पहनाएं। मुफ्त हो रहा इलाज
- सीएमएस डॉ. नीना वर्मा का कहना है कि एसएनसीयू में बच्चों का मुफ्त इलाज कर उनकी जान बचाई जाती है। ठंड में हाइपोथर्मिया से बच्चे अधिक बीमार हो रहे हैं। 12 मरीजों की क्षमता वाले एसएनसीयू वार्ड में 13 बच्चे भर्ती हैं।