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सिस्टम से हारीं तो गांव के लिए खुद खरीद ली एंबुलेंस

समय पर समुचित इलाज के अभाव में अब गांव में किसी की जान नहीं जाती। ग्राम प्रधान ने खुद पैसे जुटा कर गांव वालों के लिए एंबुलेंस खरीदी और 24 घंटे की नि:शुल्क सेवा उपलब्ध करा दी।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Sat, 17 Nov 2018 01:31 PM (IST)Updated: Sat, 17 Nov 2018 01:31 PM (IST)
सिस्टम से हारीं तो गांव के लिए खुद खरीद ली एंबुलेंस
सिस्टम से हारीं तो गांव के लिए खुद खरीद ली एंबुलेंस

बलरामपुर, रमन मिश्र। उत्तर प्रदेश के बलरामपुर के श्रीदत्तगंज ब्लॉक क्षेत्र का चमरूपुर गांव। समय पर समुचित इलाज के अभाव में अब गांव में किसी की जान नहीं जाती। ग्राम प्रधान ने खुद पैसे जुटा कर गांव वालों के लिए एंबुलेंस खरीदी और 24 घंटे की नि:शुल्क सेवा उपलब्ध करा दी। समय से अस्पताल न पहुंच पाने के कारण तीन साल में गांव में तीन मौतों ने ग्राम प्रधान अमीना को झकझोर दिया। जब कोई उपाय न सूझा तो उन्होंने अपने पैसे से वाहन खरीदा और उसे एंबुलेंस में तब्दील कर दिया। इसके लिए एक ड्राइवर भी रखा गया है।

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असर यह कि अब इस गांव में ही नहीं, बल्कि आसपास के गांवों में भी लोगों को समय पर सेवा पहुंचाने के लिए यह एंबुलेंस तैयार रहती है। अब तक दो हजार से अधिक मरीजों को यह एंबुलेंस अस्पताल पहुंचा चुकी है। अब चमरूपुर ऐसा गांव बन गया है जहां गर्भवती, नवजात व अन्य मरीजों को अस्पताल तक पहुंचाने के लिए सरकारी एंबुलेंस का इंतजार नहीं करना पड़ता है।

खास बात यह है कि इस एंबुलेंस के जरिए शारीरिक रोगों का ही नहीं दिलों का भी इलाज हो रहा है। अमीना ने इस एंबुलेंस को कौमी एकता एंबुलेंस का नाम दिया है। कारण, इस सेवा का लाभ देने में जाति-धर्म का भेदभाव नहीं किया जाता। कोई शुल्क भी नहीं लिया जाता। एंबुलेंस पर मोबाइल नंबर अंकित है। इस पर संपर्क करने पर अपने गांव के साथ ही क्षेत्र के दूसरे गांवों के जरूरतमंदों को भी तत्काल एंबुलेंस मुहैया कराई जाती है। आज यह आसपास के गांवों के लिए भी एक नजीर बन गई है।

ग्राम प्रधान अमीना ने बताया कि कुछ साल पहले गांव के ही जवाहर सड़क दुर्घटना में घायल हो गए। समय से एंबुलेंस और इलाज न मिल पाने से उन्हें बचाया नहीं जा सका। इसी तरह जगराम बीमार पड़े। जगराम दमा के मरीज थे। उन्हें भी समय से अस्पताल न पहुंचाया जा सका और मौत हो गई। कुछ ऐसा ही हादसा गोपाल के साथ हुआ। वह छत से नीचे गिरकर घायल हो गए थे। परिवार वालों ने एंबुलेंस के लिए फोन मिलाया, लेकिन एंबुलेंस नहीं पहुंची। उपचार के अभाव में मौत हो गई। इन घटनाओं ने मुझे बहुत दुखी किया। महसूस हुआ कि गांव में एंबुलेंस होना जरूरी है। लिहाजा वाहन खरीदकर चालक रखा और इस तरह कौमी एकता एंबुलेंस सेवा शुरू हुई। ग्राम प्रधान की एक सोच ने उन्हें समाज में अलग पहचान दिलाई है। क्षेत्रवासियों के लिए उनका यह प्रयास किसी वरदान से कम नहीं है। 


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