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जिस पानी से होती थी बर्बादी, आज लहलहाती है फसल

क्षेत्र के रतनपुर की महिला प्रधान ने भांभर नाला के पानी को संरक्षित करने के लिए मनरेगा से चेकडैम का निर्माण कराया है। जिससे सैकड़ों एकड़ में लगी फसल अब पहाड़ी नाला के बाढ़ से जलमग्न नहीं होती है। जिस पानी से पहले फसल बर्बाद होती थी आज उसी पानी से फसल लहलहाने लगी है। किसान चेकडैम से ही फसलों की सिचाई करते हैं। रतनपुर रतनपुर पूरबडीह व मनकौरा के लोगों को पहाड़ी नाला भांभर की बाढ़ से हर साल तबाही झेलनी पड़ती थी। ग्रामीण नाला को अभिशाप मान बैठे थे। उनकी समस्या के निदान के लिए प्रधान गीता जायसवाल ने नाला के अंतिम छोर पर 60 फीट लंबा 20 फीट चौड़े चेक

By JagranEdited By: Published: Mon, 15 Jul 2019 11:20 PM (IST)Updated: Tue, 16 Jul 2019 06:29 AM (IST)
जिस पानी से होती थी बर्बादी, आज लहलहाती है फसल
जिस पानी से होती थी बर्बादी, आज लहलहाती है फसल

बलरामपुर : क्षेत्र के रतनपुर की महिला प्रधान ने भांभर नाला के पानी को संरक्षित करने के लिए मनरेगा से चेकडैम का निर्माण कराया है। जिससे सैकड़ों एकड़ में लगी फसल अब पहाड़ी नाला के बाढ़ से जलमग्न नहीं होती है। जिस पानी से पहले फसल बर्बाद होती थी, आज उसी पानी से फसल लहलहाने लगी है। किसान चेकडैम से ही फसलों की सिचाई करते हैं। रतनपुर, रतनपुर पूरबडीह व मनकौरा के लोगों को पहाड़ी नाला भांभर की बाढ़ से हर साल तबाही झेलनी पड़ती थी। ग्रामीण नाला को अभिशाप मान बैठे थे। उनकी समस्या के निदान के लिए प्रधान गीता जायसवाल ने नाला के अंतिम छोर पर 60 फीट लंबा 20 फीट चौड़े चेकडैम का निर्माण कराया। जिस पर मनरेगा से करीब पांच लाख रुपये खर्च किया गया। चेकडैम के बांध पर ग्रामीण टहलते व बच्चे खेलते हैं। बोले किसान :

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-किसान चीनी यादव, भल्लू यादव, कर्ताराम, रमली, आन्नद भारती, नानबच्चा, मंटू पाल, पलई यादव व रामदेव चौहान का कहना है कि चेकडैम से सभी खुश हैं। बारिश में ग्रामीणों को बाढ़ से फसल बर्बाद होने की आशंका सताने लगती थी। क्योंकि पानी खेतों के साथ गांव में भर जाता था। अब इससे कुछ हद तक निजात मिल गई है। फसलों की सिचाई व पशुओं को प्यास बुझाने के लिए पानी आसानी से मिलता है। पहले बारिश खत्म होते सब सुख जाता था। जल संचयन को आगे आएं लोग :

- प्रधान गीता जायसवाल कहतीं हैं कि जल के बिना जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती है। चेकडैम का निर्माण बारिश के पानी को संरक्षित करने के उद्देश्य से किया गया है। नाला के पानी को संरक्षित कर फसलों की सिचाई के लिए प्रयोग किया जाता है। सभी को जल संचयन के लिए आगे आना चाहिए।


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