यहां भगवा रंग में रंग गए विदेशी
बलरामपुर : देश के 51 शक्तिपीठों में शुमार देवीपाटन मंदिर शक्तिपीठ एक ऐसा मठ बन गया है
बलरामपुर : देश के 51 शक्तिपीठों में शुमार देवीपाटन मंदिर शक्तिपीठ एक ऐसा मठ बन गया है। जिसका रिश्ता नेपाल के अलावा रूस, जपान, मलेशिया, मंगोलिया, दक्षिण अफ्रीका व ऑस्ट्रेलिया तक है। एक बार यहां जो आया वह भगवा रंग में रंग गया। यहां पर्यटक बनकर आए 132 विदेशी नाथ संप्रदाय का भगवा चोला पहनकर अपने वतन लौटे। इसमें महिलाएं भी शामिल हैं। अपने वतन में शक्तिपीठ का मंदिर बनवाया व सनातन धर्म के प्रचार में लग गए। प्रत्येक वर्ष शारदीय व बसंतीय नवरात्र में आकर यहां आराधना करते हैं।
मैक्सिम से मत्स्येंद्रनाथ बने रूसी योगी
बचपन से ही अध्यात्म में रुचि रखने वाले रूसी नागरिक मैक्सिम बीते शारदीय नवरात्र में भारत का पर्यटन करने आए थे। सबसे पहले वह गोरखपुर स्थित गोरक्षनाथ मंदिर गए। जहां उनकी मुलाकात शक्तिपीठ देवीपाटन मंदिर के महंत मिथिलेश नाथ योगी से हुई। उनसे प्रभावित होकर मैक्सिम देवीपाटन मंदिर आए। उन्हें नाथ संप्रदाय से ऐसी लगन लागी कि उन्होंने अपना चोला ही बदल दिया। नाथ संप्रदाय की दीक्षा लेकर वह मैक्सिम से मत्स्येंद्रनाथ बनकर अपने वतन को लौटे। वहां नाथ संप्रदाय का प्रचार-प्रसार किया। सोवियत संघ सरकार ने जब उन्हें मंदिर बनाने के लिए जमीन नहीं दी तो अपने ही घर में उन्होंने गोरखनाथ का विशाल मंदिर बनवा डाला। अब तक सैकड़ों विदेशी बन चुके हैं योगी
शक्तिपीठ देवीपाटन मंदिर के महंत मिथिलेश नाथ योगी ने बताया कि 132 विदेशी नागरिक यहां आकर नाथ संप्रदाय की दीक्षा ले चुके हैं। ऑस्ट्रेलिया के एक पर्यटक ने यहां भगवा रंग को अपनाया। जो म¨च्छद्रनाथ बनकर ऑस्ट्रेलिया लौटे। वहां पर मंदिर स्थापित कर नाथ संप्रदाय का प्रचार किया। वह ¨हदू मैथोलॉजी पर आस्था व्यक्त कर प्रचार-प्रसार कर रहे हैं। इसी देश के जयेंद्र नाथ व यतींद्रनाथ भी ऑस्ट्रेलिया में भगवा लहरा रहे हैं। इसके अलावा नेपाल व रूस के पर्यटक भी भारतीय संस्कृति व अध्यात्म में रम कर योगी बन गए। आज वह अपने देश में मंदिर बनवाकर नाथ संप्रदाय के प्रचार में जुटे हैं।