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मेहमान परिदों का ध्यान रखने को बनेंगे रजिस्टर

सोहेलवा वन्य जीव प्रभाग की वादियां विदेशी परिदों को लुभा रहीं हैं।

By JagranEdited By: Published: Sat, 04 Jan 2020 11:03 PM (IST)Updated: Sat, 04 Jan 2020 11:03 PM (IST)
मेहमान परिदों का ध्यान रखने को बनेंगे रजिस्टर
मेहमान परिदों का ध्यान रखने को बनेंगे रजिस्टर

रमन मिश्र, बलरामपुर :

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सोहेलवा वन्य जीव प्रभाग की वादियां विदेशी परिदों को लुभा रहीं हैं। सर्दी के मौसम में यहां के जलाशयों में प्रवास के लिए आने वाले इन परिदों को देखने के लिए दूर-दूर से सैलानी पहुंचते हैं। विदेशी मेहमानों को उनके अनुकूल प्राकृतवास मुहैया कराया जा सके, इसलिए वन विभाग ने नई पहल की है। अब हर वेटलैंड में रजिस्टर बनेगा। इसमें मेहमान पक्षियों का ब्योरा दर्ज किया जाएगा। रोजाना किस प्रजाति के कितने पक्षी आते हैं, कितने दिन ठहरते हैं, इसका पूरा लेखा-जोखा तैयार किया जाएगा। इसके जरिए भविष्य में इनके संरक्षण के पुख्ता उपाय किए जा सकेंगे। इससे न केवल सोहेलवा में प्रवासी पक्षियों का कलरव गूंजेंगा, बल्कि ईको टूरिज्म को भी बढ़ावा मिलेगा।

452 वर्ग किलोमीटर में फैले सोहेलवा जंगल में भगवानपुर जलाशय, रामपुर, कोहरगड्डी, चित्तौड़गढ़, मजगवां, रजियाताल, हथियाकुंडा, खैरमान समेत 13 जलाशय व 56 पहाड़ी नाले हैं। इनमें से 16 पहाड़ी नालों में हमेशा पानी भरा रहता है। ये प्राकृतिक जलस्त्रोत वन्यजीवों को खूब भाते हैं। यही वजह है कि यहां विदेशी पक्षियों के बीच वल्चर (गिद्ध) की भी कई प्रजातियां देखने को मिलती हैं। बनकटवा रेंज के हथियाकुंडा में पिछले दिनों दुर्लभ वाल क्रीपर (एक पकार की गौरैया) दिखी थी, जिसे वन्यजीव प्रेमी सोहेलवा के लिए सुखद संकेत मान रहे हैं। इन प्रवासी पक्षियों का गूंजता है कलवर

सोहेलवा के वेटलैंड में लिटिल ग्रेब, ग्रेट केस्टेड ग्रेब, पनकौआ, सारस, लाल सुरखाब, नीलसर, लालसर, ब्लैक इबिस, जाघिल, सीखपर, चेतवा, कुर्छिया, ओकाब, रेन क्वेल, स्वांप फ्रैंकोलिन, आस्प्रे, वोनेल्लीज ईगल, जलमुर्गी, कर्मा, रेयर लैपविग, पिनटेल स्नाइप, पारफिरियो, ग्रीन सैंडपाइपर, ब्लैक विग्डस्टिल्ट, ब्राउन हेडेड गल, रीवर ट्रेम, चितरोखा, नीलकंड, हुडहुड, कोयल, चातक समेत विभिन्न प्रजाति के पक्षी प्रवास के लिए आते हैं।

वर्जन-

'रजिस्टर में रोजना विदेशी पक्षियों का आंकड़ा दर्ज होगा। यह रजिस्टर फरवरी-मार्च तक पक्षियों के पूरे प्रवास काल के दौरान दुरुस्त किया जाएगा। इससे प्रजाति वार पक्षियों की संख्या का पता चल सकेगा। साथ ही भविष्य में इनके संरक्षण के लिए बजट की मांग की जाएगी।'

-रजनीकांत मित्तल, डीएफओ


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