चक्की मशीन पर सन्नाटा..कैसे नसीब हो आटा
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बलरामपुर : लॉकडाउन के चलते राशन की कमी न होने पाए, इसके लिए सरकारी अमला भले ही एड़ी-चोटी का जोर क्यों न लगा रही हो, लेकिन लोगों को रोटी नसीब नहीं हो पा रही है। वजह, गेहूं की आपूर्ति तो की जा रही है, लेकिन उन्हें आटा नहीं मिल पा रहा है। चक्की मशीनों पर ताले लटके हुए हैं। ऐसे में गेहूं कैसे पीसा जाए, यह चिता लोगों को सता रही है। 35 किग्रा मिलना है राशन :
-वैश्विक महामारी कोरोना के चलते देश भर में लॉकडाउन की स्थित है। ऐसे में पात्र गृहस्थी, अंत्योदय व मनरेगा कार्डधारकों समेत श्रम विभाग में पंजीकृत श्रमिकों को तीन माह तक मुफ्त राशन देने का एलान सरकार ने किया है। प्रत्येक राशन कार्डधारक को एक माह के लिए 35 किलोग्राम चावल व गेहूं एक अप्रैल से निश्शुल्क दिया जाएगा। जबकि मनरेगा व श्रम विभाग में पंजीकृत मजदूरों को यूनिट के हिसाब से राशन मिलेगा। लॉकडाउन के दौरान सुबह दस से दोपहर दो बजे तक खाद्य पदार्थों की दुकान खोलने का आदेश है। साथ ही दुकानों पर शारीरिक दूरी का एहतियात बरतने की भी हिदायत है। ऐसे में अधिकांश चक्की मशीन संचालक भीड़ जुटने के डर से दुकान बंद रखते हैं। यही वजह है कि यदि जरूरतमंदों को सरकार से गेहूं मिल भी जाए, तो चककी मशीन बंद होने पर आटा कैसे मिलेगा। बोले चक्की संचालक :
-फर्राशखान पर चक्की मशीन चलाने वाले मनीष ने बताया कि चार घंटे दुकान खोलने का आदेश है। दो बजते ही दुकान बंद कर दिया जाता है। इतने कम समय में किराना का सामान ज्यादा से ज्यादा लोगों को देने का प्रयास किया जाता है। चक्की मशीन शुरू करने के लिए अधिक समय चाहिए, जिससे भीड़ एकत्र किए बिना लोगों का गेहूं पीस दिया जाए। पहलवारा में चक्की दुकान करने वाले घनश्याम साहू का कहना है कि दुकान खुलते ही लोगों की भीड़ जुट जाती है। सभी को शारीरिक दूरी बनाए रखने के लिए घेरे में खड़ा होने को कहा जाता है। समय पर गेहूं लेकर आटा देना मुश्किल है। इसलिए चक्की मशीन बंद कर दी है।