बार्डर पर बनेंगे दो अस्पताल, हमदर्द होंगे भारत-नेपाल
थारुओं को जंगलों में नहीं खोजनी पड़ेगी जड़ी-बूटी बेहतर चिकित्सा सेवाएं सुधारेंगी पड़ोसी से संबंध
बलरामपुर: नेपाल सीमा से सटे जंगलवर्ती गांवों के बाशिदों को सुलभ इलाज मिलने का रास्ता साफ हो गया है। तुलसीपुर के नंदमहरा व गैंसड़ी के मदरहवा गांव में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के लिए सरकार ने बजट अवमुक्त कर दिया है।
नंदमहरा में एक करोड़ 38 लाख व मदरहवा में एक करोड़ 80 लाख रुपये खर्च कर अस्पताल बनाया जा रहा है। इनके निर्माण से अब जंगल में बसे थारू बाहुल्य गांवों व जंगलवर्ती इलाके के लोगों को दुर्गम रास्तों से होकर इलाज के लिए ब्लाक व जिला मुख्यालय की दौड़ नहीं लगानी पड़ेगी।
साथ ही नेपाल सीमा से सटे गांवों में बेहतर चिकित्सा सेवाएं मिलने से न केवल इसका लाभ क्षेत्रवासियों व जंगल में बसे थारुओं को मिलेगा बल्कि विभिन्न कारणों से सीमा पार कर आने वाले पड़ोसी देश के नेपाली भी लाभ लेंगे। बेहतर इलाज की सुविधा पाकर वह अपने देश में भारत का गुणगान करेंगे जो भारत व नेपाल के संबंध सुधारने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेगा। सीमा से सटे जंगल में बसे गांव के लोगों को मिलेगा लाभ :
नंदमहरा भारत का आखिरी गांव है जहां से नेपाल सीमा को स्पर्श करने वाला जंगल शुरू हो जाता है। यहां अस्पताल बनने से नंदमहरा, नंदमहरी, रेहरा,गनेशपुर,मदहवा के अलावा जंगल में बसे भंगहा, मकुनहवा, भगवानपुर, रतनपुर समेत 20 हजार आबादी को लाभ मिलेगा।
जंगली जड़ीबूटियों पर निर्भरता होगी खत्म :
इस क्षेत्र के लोग अब तक इलाज के लिए जंगल की जड़ीबूटियों पर निर्भर थे। इलाज के लिए इनको जंगलों में जड़ीबूटी तलाशनी होती थी। दूसरा अस्पताल कोयला बास जरवा रोड पर गैंसड़ी ब्लाक के मदरहवा में बन रहा है। इसके निर्माण से दत्तपुर, पिपरीलौकी, मदरहवा, नगई, चौहत्तर कला, चैनपुर समेत पड़ोसी देश से आने वाले नेपालियों को चिकित्सीय सेवाएं मिलेंगी।
चार माह में पूरा होगा निर्माण
अवर अभियंता राम मनोरथ मौर्य ने बताया कि चार माह में अस्पताल का निर्माण पूरा हो जाएगा। वहीं, मुख्य चिकित्साधिकारी डा. विजय बहादुर सिंह का कहना है कि दोनों अस्पतालों का निर्माण तेजी से चल रहा है। कार्यदायी संस्था को निर्माण शीघ्र पूरा कराने की हिदायत दी गई है। निर्माण पूरा होते ही चिकित्सा सेवाएं शुरू कर दी जाएंगी।