चार साल से धूल फांक रहा परिवार, खाकी पर दाग
चौकी प्रभारी सिपाही पर जेब से जबरन रुपये निकाल लेने का आरोप सीजेएम ने डीआइजी को लिखा पत्र
बलरामपुर : वारदातों को बेनकाब कर अपराधियों को दबोचने वाली पुलिस अपनों को बचाने में उलझती जा रही है। चार साल से गैर जमानती वारंट का तामीला कराने को दो पुलिसकर्मी ढूंढ़े नहीं मिल रहे हैं। न्यायालय के बार-बार पत्र भेजने के बाद भी खाकी के कान पर जूं तक नहीं रेंग रहा है। अपराध में लिप्त पुलिसकर्मियों को बचाने के चक्कर में खाकी दागदार हो रही है। मामला नगर कोतवाली के धर्मपुर गांव का है, जहां चौकी प्रभारी व सिपाही पर एक व्यक्ति की जेब से जबरन रुपये निकाल लेने का प्रकरण अदालत में धूल फांक रहा है। मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रदीप सिंह ने डीआइजी को 12 जनवरी को पत्र प्रेषित कर पुलिस अधीक्षक से आरोपित पुलिसकर्मियों की तैनाती के बारे में पूछा है।
कोतवाली देहात के ग्राम नारायणपुर निवासी जमील ने वर्ष 2012 में न्यायालय में परिवाद प्रस्तुत करते हुए आरोप लगाया कि सात दिसंबर 2012 को धर्मपुर के सेवायोजन कार्यालय के पास चौकी प्रभारी नरेंद्र यादव व सिपाही फारूक ने चार अन्य के सहयोग से 11,000 रुपये जेब से जबरन निकाल लिया। न्यायालय ने साक्ष्य आने पर दारोगा कांस्टेबल सहित छह लोगों को तलब किया। प्रकरण के चार आरोपित जमानत करा चुके हैं। दोनों पुलिसकर्मी प्रकरण में फरार हैं। न्यायालय ने आरोपित पुलिसकर्मियों के विरुद्ध एक नवंबर 2016 को गैर जमानती अधिपत्र जारी किया। इसका तामीला पुलिसकर्मियों को अब तक नहीं कराया जा सका है।
मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने तमाम लिखा पढ़ी व वारंट का तमीला न होने पर वर्ष 2018 में डीआइजी को निर्गत गैर जमानती अधिपत्र के तामीला कराने के लिए पत्र प्रेषित किया। न्यायालय के पत्र पर भी पुलिस ने दो साल तक कोई उत्तर नहीं दिया और न ही प्रकरण में संज्ञान लिया। मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने पुन: डीआइजी व पुलिस अधीक्षक को पत्र प्रेषित किया है।
कोर्ट से पत्र मिलने के बाद होगी कार्रवाई :
- पुलिस अधीक्षक हेमंत कुटियाल का कहना है कि अपराधी कोई भी हो, उसे छोड़ा नहीं जाएगा। यदि न्यायालय का पत्र प्राप्त होता है, तो कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।