चौपाल में छलका तकनीकी शिक्षा के पिछड़ेपन का कलंक
बलरामपुर अब श्रावस्ती लोकसभा क्षेत्र पंडित अटल बिहारी वाजपेयी नानाजी देशमुख व सुभद्रा जोशी जैसी महान हस्तियों की कर्मस्थली रही है। बावजूद इसके जिले पर लगे पिछड़ेपन का कलंक अब तक दूर नहीं हो सका। बलरामपुर व श्रावस्ती दोनों जिले उच्च एवं तकनीकी शिक्षा से अछूते हैं। यहां के हजारों छात्र-छात्राओं को प्रतिवर्ष लखनऊ दिल्ली इलाहाबाद व अन्य महानगरों की दौड़ लगानी पड़ती है। पैसे के अभाव में छात्र-छात्राओं का भविष्य चौपट हो रहा है। प्रबुद्ध वर्ग में सियासी दलों के प्रति असंतोष नजर आता है। वक्ताओं ने किसी दल के एजेंडे में अब तक उच्च शिक्षा एवं तकनीकी कॉलेज का मुद्दा न होने पर आश्चर्य जताया। जागरण की ओर से बलरामपुर नगर स्थित एमएलके पीजी कॉलेज में उच्च एवं तकनीकी शिक्षा मुद्दे पर लगाई चुनावी चौपाल में देखने को मिला।जागरण चौपाल में उठाए गए प्रमुख बिन्दुओं पर प्रस्तुत है बलरामपुर से रमन मिश्र की रिपोर्ट
बलरामपुर (अब श्रावस्ती) लोकसभा क्षेत्र पंडित अटल बिहारी वाजपेयी, नानाजी देशमुख व सुभद्रा जोशी जैसी महान हस्तियों की कर्मस्थली रही है। बावजूद इसके जिले पर लगे पिछड़ेपन का कलंक अब तक दूर नहीं हो सका। बलरामपुर व श्रावस्ती दोनों जिले उच्च एवं तकनीकी शिक्षा से अछूते हैं। यहां के हजारों छात्र-छात्राओं को प्रतिवर्ष लखनऊ, दिल्ली, इलाहाबाद व अन्य महानगरों की दौड़ लगानी पड़ती है। पैसे के अभाव में छात्र-छात्राओं का भविष्य चौपट हो रहा है। प्रबुद्ध वर्ग में सियासी दलों के प्रति असंतोष नजर आता है। वक्ताओं ने किसी दल के एजेंडे में अब तक उच्च शिक्षा एवं तकनीकी कॉलेज का मुद्दा न होने पर आश्चर्य जताया। जागरण की ओर से बलरामपुर नगर स्थित एमएलके पीजी कॉलेज में उच्च एवं तकनीकी शिक्षा मुद्दे पर लगाई चुनावी चौपाल में देखने को मिला। जागरण चौपाल में उठाए गए प्रमुख बिदुओं पर प्रस्तुत है बलरामपुर से रमन मिश्र की रिपोर्ट : प्रोफेसर आनंद वाजपेयी का कहना है कि उच्च एवं तकनीकी शिक्षा के अभाव के बावजूद प्रतिभाओं की कमी नहीं है। पूजा मिश्रा का कहना है कि उच्च शिक्षा की व्यवस्था ठीक होनी चाहिए। उच्च शिक्षा से सोच विकसित होती है। सीमा पांडेय का कहना है कि बालिकाओं के लिए उच्च शिक्षण संस्थानों की कमी है। मसूद मुराद का कहना है कि रोजगारपरक शिक्षा के लिए डिग्री कोर्स श्रावस्ती संसदीय क्षेत्र में नहीं है। डॉ. तुलसीश दूबे का कहना है कि यहां स्नातक व परास्नातक के लिए संस्थान हैं, लेकिन तकनीकी शिक्षण संस्थानों की भारी कमी है। डॉ. केके सिंह ने कहा कि संस्थानों का ढांचा खड़ा कर दिया है। शिक्षक नदारद हैं। डॉ. प्रतीक मिश्र का कहना है कि घोषणाएं जारी हैं, लेकिन धरातल पर कुछ नहीं दिखता। तकनीकी शिक्षा सिर्फ कागजों तक सिमट कर रह गई है। डॉ. दिनेश मौर्य कहते हैं कि उच्च शिक्षा की बेहतरी के लिए बजट में ही प्रावधान करना चाहिए। तभी स्थिति में सुधार होगा। डॉ. तारिक कबीर कहते हैं कि उच्च शिक्षा की तो व्यवस्था है, तकनीकी शिक्षा के मामले में श्रवास्ती व बलरामपुर दोनों काफी पीछे हैं। डॉ. तबस्सुम फरखी का कहना है कि दोनों जिलों में एमबीए व होटल मनेजमेंट की पढ़ाई करने वाले छात्रों को दक्षिण के शहरों में जाना पड़ता है। इस कलंक को धोना होगा। डॉ. एके सिंह का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय शोध की सुविधा तो यहां मिलती है, लेकिन टेक्नीकल शिक्षा के लिए छात्रों को दूसरे शहर जाना पड़ता है। डॉ. राघवेंद्र सिंह व डॉ. श्रीप्रकाश मिश्र का कहना है कि श्रावस्ती क्षेत्र में इंजीनियरिग व मेडिकल कॉलेज नहीं है। जनप्रतिनिधि ध्यान नहीं दे रहे हैं। डॉ. अजहरुद्दीन ने कहाकि रोजगार के अवसर मिलने पर ही तकनीकी शिक्षा विकसित होगी। डॉ. नीरजा शुक्ला व डॉ. देवेंद्र कुमार चौहान का कहना है कि तकनीकि शिक्षण संस्थानों की कमी से बेरोजगारी बढ़ी है। मुद्दा क्यों :
-बलरामपुर लोकसभा क्षेत्र में वर्ष 1952 से संसदीय चुनाव होर रहा है। 22 मई 1997 में बलरामपुर व श्रावस्ती दोनों को जिले का दर्जा तो मिला, लेकिन मेडिकल कॉलेज व तकीनीकी शिक्षा के लिए उच्च शिक्षण संस्थानों की स्थापना कराने में जनप्रतिनिधियों ने दिलचस्पी नहीं दिखाई। जनपद सृजन के 22 साल बाद बालिग होने के बाद जिला महानगरों की अंगुली पकड़कर चल रहा है। आज भी यहां के छात्र-छात्राओं को उच्च व तकनीकी शिक्षा के लिए दौड़ लगानी पड़ रही है।