बेसहारा जानवरों को सहारा देने की कवायद तेज
संवादसूत्र, बलरामपुर : सड़कों पर सहारा लेने वाले बेसहारा जानवरों को एक बार फिर आश्रय स्थलों पर ले जाने की कवायद तेज कर दी गई है। इस बार यह पहल जिलाधिकारी डा. महेंद्र कुमार के व्यक्तिगत रुचि लेने से की जा रही है। जिले के सभी नौ ब्लाकों में 54 गो आश्रय केंद्र संचालित हैं। इनकी संख्या बढ़ाने के साथ पुराने गो आश्रय स्थलों की क्षमता वृद्धि पर जोर दिया जा रहा है। साथ ही गोवंश के लिए सूखा और हरा चारा समेत अन्य सुविधाओं की जांच कराई जा रही है।
बेसहारा जानवर फसलों को क्षति न पहुंचाएं। सड़कों पर न बैठे। इसके लिए गांवों में गो संरक्षण केंद्र की स्थापना की जा रही है। गांवों में अन्य विकास कार्यों के साथ ही आश्रय स्थलों का निर्माण किया जाएगा। गो आश्रय स्थलों की जांच के लिए अधिकारियों की टीम पहुंचने लगी तो बंद केंद्रों का भी ताला खोल दिया गया। सदर ब्लाक के सिंघवापुर व भगवानपुर आश्रय स्थल का संचालन दो साल बाद शुरू किया गया है। सिंघवापुर में राज्य वित्त आयोग से तीन लाख 50 हजार की लागत से दूसरा आश्रय स्थल बन रहा है। सभी केंद्रों पर भूसा रखने के लिए स्टोर का भी निर्माण चल रहा है। इसके लिए एक से दो लाख रुपये व्यय किया जा रहा है। खंड विकास अधिकारी सदर सागर सिंह ने बताया कि चार बंद गो आश्रय स्थल बांसेडीला , सेखुइया, भगवानपुर व सिंघवापुर शामिल है।
नहीं मिल रहा हरा चारा : आश्रय स्थलों पर हरा चारा गोवंशों को नहीं मिल पा रहा है। इससे पशुओं को सूखा चारा ही खाना पड़ रहा है। डीपीआरओ ने बताया कि संरक्षण पा रहे गोवंश बाहर न निकले इसके लिए बैरिकेडिंग कराई जा रही है। खाली जमीन पर हरा चारा की बोआई करने का निर्देश दिया गया है।
देखी व्यवस्थाएं : पचपेड़वा के सेमरहना गो आश्रय स्थल का डीसी मनरेगा सूबेदार सिंह व बीडीओ सुमित सिंह ने निरीक्षण किया। गो आश्रय स्थल के चारों तरफ पौधारोपण करने का निर्देश दिया। बीडीओ ने बताया कि भगवानपुर शिवपुर, विजयनगर में भी व्यवस्थाएं देखी गई हैं।
फैक्ट फाइल :
गो आश्रय स्थल : 54
संरक्षित पशु : 3581
सदर ब्लाक : 13
तुलसीपुर : 06
गैसड़ी : 06
पचपेड़वा : 05
हर्रैया सतघरवा : 07
उतरौला : 05
गैड़ास बुजुर्ग : 04
रेहारा बाजार : 03
श्रीदत्तगंज : शून्य