शिक्षित बिटिया घर की गरिमा, शिक्षा की अलख जगा रहीं सलमा
मिशन शक्ति को धार देने में जुटीं कंपोजिट विद्यालय आदर्श की सहायक अध्यापिका 20 से अधिक बालिकाओं का करा चुकीं हैं इंटर कॉलेज में दाखिला
बलरामपुर : यूं तो वह एक परिषदीय विद्यालय की साधारण सी अध्यापिका हैं। नीति आयोग के आकांक्षात्मक जिले में अध्यापन का दायित्व तो बखूबी निभा रहीं है, साथ ही मिशन शक्ति को भी धार दे रहीं हैं। नगर क्षेत्र के विद्यालयों में मिशन प्रेरणा के अंतर्गत बुनियादी शिक्षा एवं विभिन्न कार्यक्रमों के शत-प्रतिशत क्रियान्वयन के लिए लगातार प्रयासरत हैं। लैंगिक समानता, लैंगिक उत्पीड़न, स्काउटिग व बिना भेदभाव सबको शिक्षा का नारा बुलंद करते हुए 'पढ़ें बेटियां बढ़ें बेटियां' के सपने को भी साकार कर रही हैं।
बात हो रही है, कंपोजिट विद्यालय आदर्श नगर क्षेत्र में तैनात सहायक अध्यापिका एवं एआरपी सलमा खान की, जो अब तक अपने प्रयास से आठवीं कक्षा उत्तीर्ण 20 से अधिक बालिकाओं का दाखिला गर्ल्स इंटर कॉलेज में करा चुकीं हैं। आगे भी बेटियों को शिक्षा की मुख्यधारा से जोड़ने की मुहिम जारी है। किशोरियों की समस्या को किया महसूस :
- सलमा बताती हैं कि जब उनकी तैनाती वर्तमान विद्यालय में हुई, तब जूनियर संवर्ग होने के कारण किशोरियों की अनेकों समस्याओं को महसूस किया। बालिकाओं को शिक्षित बनाने के लिए किशोरियों व उनके अभिभावकों की व्यक्तिगत रूप से काउंसिलिंग भी करनी पड़ी। शुरू में समस्याएं आई, लेकिन धीरे-धीरे उनका प्रयास रंग लाने लगा। विद्यालय में अध्यापन के साथ ही वह महिलाओं के प्रति होने वाले अत्याचार का भी खुलकर विरोध करतीं हैं। विद्यालय समय के बाद विभिन्न सामाजिक गतिविधियों में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करतीं हैं। आठवीं पास 20 से अधिक किशोरियों का प्रवेश नगर के गर्ल्स इंटर कॉलेज में करवाया है।
आदर्श शिक्षिका का मिला पुरस्कार :
- मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जब मिशन शक्ति की शुरुआत की, तो उनकी जिजीविषा को संबल मिल गया। सलमा की सक्रियता को देखते हुए महिलाओं के कार्यस्थल पर लैंगिक उत्पीड़न निवारण प्रतिषेध और प्रतितोष अधिनियम 2013 के अंतर्गत जिला परिवाद समिति का सदस्य चुना गया है। उनके उत्कृष्ट कार्य के लिए वर्ष 2020 में जनपद स्तर पर आदर्श शिक्षिका के रूप में जिला विद्यालय निरीक्षक ने सम्मानित भी किया है। सलमा खान का कहना है कि बेटियां दो परिवारों के लिए एक सेतु की भांति होती हैं। जिस प्रकार एक सेतु की मजबूती आवश्यक है उसी प्रकार बेटियों की शिक्षा दीक्षा उनका पालन पोषण स्वस्थ तरीके से करने की आवश्यकता है।
बेहद प्रयास सराहनीय :
- बीएसए डॉ. रामचंद्र का कहना है कि बालिका शिक्षा के लिए सहायक अध्यापिका का प्रयास बेहद सराहनीय है। अन्य शिक्षकों को भी उनसे प्रेरणा लेकर सरकारी कार्यक्रमों में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करनी चाहिए।