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इलाज से दूर, रेफर को मजबूर

जिले में मानसिक रोगियों के इलाज की राह आसान नहीं हो पा रही है। राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत जिला मेमोरियल अस्पताल में अलग इकाई तो बनी लेकिन दो साल बाद भी मनोचिकित्सक की तैनाती नहीं हो सकी।

By JagranEdited By: Published: Sun, 13 Oct 2019 08:56 PM (IST)Updated: Sun, 13 Oct 2019 08:56 PM (IST)
इलाज से दूर, रेफर को मजबूर
इलाज से दूर, रेफर को मजबूर

बलरामपुर : जिले में मानसिक रोगियों के इलाज की राह आसान नहीं हो पा रही है। राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत जिला मेमोरियल अस्पताल में अलग इकाई तो बनी, लेकिन दो साल बाद भी मनोचिकित्सक की तैनाती नहीं हो सकी। साथ ही अन्य सात रिक्त पदों पर स्वास्थ्यकर्मियों की नियुक्ति नहीं हुई। ऐसे में आज भी प्रतिमाह 15 से 20 गंभीर मानसिक रोगियों को किग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय लखनऊ रेफर किया जाता है। तुलसीपुर में मनोरोग विभाग में तैनात मनोचिकित्सक डॉ. राजेश प्रसाद को वैकल्पिक व्यवस्था के रूप में लगाया गया है। दो साल से खाली हैं पद :

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- जिला मेमोरियल अस्पताल में 12 अक्टूबर 2017 से मानसिक स्वास्थ्य प्रकोष्ठ संचालित है। जहां चिकित्सा मनोवैज्ञानिक डॉ. अशोक कुमार पटेल मानसिक रोगियों का निर्देशन एवं परामर्शन करते हैं। इसके अलावा मनोचिकित्सक सोशल वर्कर, नर्स, कम्युनिटी नर्स, मॉनीटरिग एंड इवैल्युएशन ऑफिसर, केस रजिस्टर असिस्टेट व वार्ड असिस्टेंट का पद रिक्त है।

मनोचिकित्सक डॉ. राजेश प्रसाद सप्ताह में तीन दिन सोमवार, बुधवार व शुक्रवार को सुबह आठ से दोपहर दो बजे अस्पताल में मरीज देखते हैं। मरीजों को केंद्र पर प्राथमिक जांच के साथ निश्शुल्क दवा देने का दावा किया जा रहा है। अन्य दिनों में मरीजों को लौटना पड़ता है।

चिकित्सा मनोवैज्ञानिक डॉ. अशोक कुमार पटेल का कहना है कि दो साल में करीब पांच हजार मानसिक रोगियों की काउंसिलिग कर चुके हैं। इसमें 75 प्रतिशत मरीज वैचारिक विकृति वाले हैं। नियमित परामर्शन से वह ठीक हो जाते हैं। 25 प्रतिशत रोगियों को ही जांच व दवा की आवश्यकता होती है।

डॉ. घनश्याम सिंह, सीएमओ का कहना है की अस्पताल में वैकल्पिक रूप से मनोचिकित्सक की व्यवस्था की गई है। स्थाई रूप से मनोचिकित्सक की तैनाती के लिए उच्चाधिकारियों को पत्र लिखा गया है।


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