बेसहारा पशु थाम रहे रफ्तार, पशुपालन विभाग लाचार
अब तक ई-टैगिग भी नहीं कर पाया पशुपालन विभाग यातायात व्यवस्था व फसलें रौंद रहे बेसहारा मवे
बलरामपुर : शहर हो या गांव बेसहारा पशु हर जगह मुसीबत हैं। खेतों में फसलें चौपट कर रहे हैं, तो शहर में यातायात व शांति व्यवस्था। सड़कों पर इनके डेरा जमा लेने से अक्सर जाम लग जाता है। इसका खामियाजा चालकों व यात्रियों को भुगतना पड़ता है। यही नहीं इनकी धमाचौकड़ी से अक्सर भगदड़ मचती रहती है। साथ ही कई बार दुर्घटनाएं भी हो जाती हैं।
वहीं, इन बेसहारा पशुओं को पकड़कर उन्हें गौ-आश्रय स्थलों तक पहुंचाने की जिम्मेदारी पशुपालन विभाग की है, लेकिन वह पूरी तरह से लाचार है। लापरवाही का आलम यह है कि पकड़ना तो दूर पशुपालन विभाग इनकी ई-टैगिग तक नहीं कर पाया है। साढ़े चार लाख में केवल दो लाख 73 हजार की टैगिग हो पाई है। विभाग को यह भी नहीं पता है कि कितने पशु पाले जा रहे हैं और कितने बेसहारा हैं। फिर भी जिला प्रशासन यह उम्मीद कर रहा है कि विभाग बेसहारा पशुओं को पकड़ कर गो आश्रय स्थलों तक पहुंचाएगा जो मुश्किल है।
दुधारू पशुओं को चारे के लिए खुला छोड़ देते हैं पशुपालक :
ई-टैगिग न होने का फायदा कुछ पशुपालक उठा रहे हैं जो अपने पालतू पशुओं को दूध निकालने के बाद चारा देने की जगह छोड़ दे रहे हैं। गली, मोहल्ले व सड़क पर दिन पर घूमते रहते हैं। इसी तरह गांवों में भी पशुपालक अपने पशुओं को दिन भर छोड़ देते हैं जो बेसहारा पशुओं के झुंड में शामिल होकर फसल बर्बाद करते हैं।
हालांकि, कई माह पहले जिलाधिकारी ने पशुओं को छोड़ने वाले पशुपालकों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराने के निर्देश क्षेत्र के पशु चिकित्साधिकारियों को दिए थे, लेकिन धरातल पर नहीं उतर सका।
ई-टैगिंग का किया जा रहा प्रयास :
मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डा. अजय सिंह का कहना है कि पशुपालकों पर मुकदमा दर्ज कराकर चिकित्साधिकारी व्यक्तिगत रंजिश नहीं लेना चाह रहे हैं। साथ ही पशुओं की ई-टैगिग कराने से भी लोग मना कर रहे हैं फिर भी प्रयास किया जा रहा है।