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वादों के गड्ढों में फंसता रहा उम्मीदों का चक्का

कहा जाता है कि सड़कें विकास का आईना होती हैं। सड़कों की सूरत देखकर ही क्षेत्र की प्रगति का अंदाजा सहज की लगाया जा सकता है। जबकि संसदीय क्षेत्र श्रावस्ती के दोनों जिलों में ग्रामीण सड़कों का कोई पुरसाहाल नहीं है। बलरामपुर से सिद्धार्थनगर जनपद को जोड़ने वाला सड़क की बदहाल सूरत बदलने की कवायद नहीं की गई। जबकि तराई क्षेत्र के बाशिदों को कोई मुकम्मल रास्ता नसीब नहीं है। यहां से श्रावस्ती जनपद की सीमा को जोड़ने वाली सड़क पर भी लोगों को हिचकोले खाकर अपना सफर पूरा करना पड़ता है। आए दिन गड्ढे में तब्दील सड़कें दुर्घटना का

By JagranEdited By: Published: Sat, 04 May 2019 10:50 PM (IST)Updated: Sat, 04 May 2019 10:50 PM (IST)
वादों के गड्ढों में फंसता रहा उम्मीदों का चक्का
वादों के गड्ढों में फंसता रहा उम्मीदों का चक्का

कहा जाता है कि सड़कें विकास का आईना होती हैं। सड़कों की सूरत देखकर ही क्षेत्र की प्रगति का अंदाजा सहज की लगाया जा सकता है। जबकि संसदीय क्षेत्र श्रावस्ती के दोनों जिलों में ग्रामीण सड़कों का कोई पुरसाहाल नहीं है। बलरामपुर से सिद्धार्थनगर जनपद को जोड़ने वाले सड़क की बदहाल सूरत बदलने की कवायद नहीं की गई। जबकि तराई क्षेत्र के बाशिदों को कोई मुकम्मल रास्ता नसीब नहीं है। यहां से श्रावस्ती जनपद की सीमा को जोड़ने वाली सड़क पर भी लोगों को हिचकोले खाकर अपना सफर पूरा करना पड़ता है। आए दिन गड्ढे में तब्दील सड़कें दुर्घटना का सबब बनतीं हैं। जिसमें आमजन को अपनी जान से हाथ तक धोना पड़ता है। माननीयों की बेरुखी से गांव की सड़कों के घाव नहीं भर पा रहे हैं। अब तक के जनप्रतिनिधियों ने सड़कों के कायाकल्प का मुद्दा मौखिक रूप से तो उठाया, लेकिन कभी इसे अपने चुनावी एजेंडे में शामिल करना मुनासिब नहीं समझा। बलरामपुर से रमन मिश्र की रिपोर्ट.. सड़क दुर्घटना में हो चुकी है 75 मौत :

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-जिले में सड़कों को गड्ढामुक्त किए जाने के नाम पर करीब 50 लाख रुपये पानी की तरह बहा दिए गए, लेकिन सड़कों की स्थिति में सुधार नहीं हो सका। जनवरी से दस दिसंबर तक जिले में करीब 120 मार्ग दुर्घटनाएं हुई हैं। जिसमें करीब 75 लोगों की मौत हो चुकी है। 43 किलोमीटर सड़कें गड्ढे में तब्दील हैं। जिन पर रोजाना एक लाख से अधिक लोगों का आवागमन होता है। इंडस्ट्रियल एरिया के पास भगवतीगंज-उतरौला मार्ग पर गड्ढों की भरमार है। 28 किलोमीटर लंबे इस मार्ग का निर्माण पांच वर्ष पूर्व कार्यदायी संस्था एचडीपीएल ने शुरू कराया था। भगवतीगंज मुख्य चौराहा, नहरबालागंज गांव तक चार किलोमीटर सड़क में करीब 500 गड्ढे हैं। इस मार्ग पर रोजाना राहगीर दुर्घटना का शिकार हो रहे हैं। तुलसीपुर मार्ग पर चुंगीनाका से कौवापुर मोड़ तक 14 किलोमीटर सड़क पर 20 से अधिक गड्ढे हैं। राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच730) की दूरी 80 किलोमीटर है। जिसके चौड़ीकरण का कार्य चल रहा है। हरिहरगंज-ललिया मार्ग स्थित कलंदरपुर गांव के पास सड़क पर बड़े-बड़े गड्ढे व गिट्टियां बिखरी होने से साइकिल व बाइक सवारों को आए दिन दुर्घटना का शिकार होना पड़ता है। तराई क्षेत्र को जोड़ने वाले करीब दस किलोमीटर लंबे हरिहरगंज-कोड़री मार्ग पर 300 से अधिक गड्ढे हैं। निर्माण खंड से इस सड़क की मरम्मत हुई थी। तराई में नहीं मुकम्मल सड़क :

-जिले के हरैया सतघरवा विकास खंड स्थित तराई क्षेत्र के बाशिदों को तहसील, ब्लॉक व जिला मुख्यालय जाने के लिए मुकम्मल सड़क नसीब नहीं है। गड्ढों में तब्दील सड़कें तराई क्षेत्र के विकास में रोड़ा बनी हुईं हैं। हरैया सतघरवा से श्रावस्ती जनपद के सिरसिया को जोड़ने वाली सड़क बदहाल है। इसी तरह महमूदनगर बाजार से तुलसीपुर तहसील जाने वाली सड़क भी खस्ताहाल है। ऐसे में तराई वासियों का सफर सुहाना नहीं हो पा रहा है। -लोक निर्माण विभाग प्रांतीय खंड के अधिशासी अभियंता डीएन राम ने बताया कि चालू वित्तीय वर्ष में 20 लाख रुपये पैचिग पर खर्च हुए हैं। पिछले वर्ष 30 लाख रुपये खर्च हुए थे। 43 किलोमीटर सड़क की पैचिग कराई जा चुकी है। -निर्माण खंड के सहायक अभियंता शैलेश कुमार ठाकुर का कहना है कि सड़क की मरम्मत के नाम पर करीब 26 लाख रुपये खर्च किए जा चुके हैं। 57 किलोमीटर सड़क गड्ढामुक्त हुई है।

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