आज देवीपाटन पहुंचेगी सिद्ध रत्ननाथ की शोभायात्रा
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बलरामपुर : सदियों से चली आ रही परंपरा का निर्वहन करते हुए बुधवार को नेपाल से सिद्ध रत्ननाथ की शोभा यात्रा सुबह छह बजे देवीपाटन मंदिर पर पहुंचेगी। शोभायात्रा को अलौकिक व अनुपम बनाने के लिए हिदू संगठनों व देवीपाटन मंदिर प्रशासन में गजब का उत्साह है। पात्र देवता के भव्य स्वागत के लिए पुरानी बाजार व यात्रा मार्गों को विधिवत सजाया जा रहा है।
बुधवार को नेपाल से आ रही सिद्ध रत्ननाथ की शोभायात्रा की अगवानी के लिए नकटी नाला पुल के पास स्थित उदासीन आश्रम की साज-सज्जा की गई है। यहीं से भक्तों का रेला शोभायात्रा में शामिल हो जाता है। हालांकि यात्रा दो दिन पूर्व ही जनकपुर गांव में बने मंदिर के दरीचे में पहुंच जाती है। जहां से पंचमी तिथि को सुबह तड़के चार बजे देवीपाटन मंदिर के लिए जत्था पैदल ही निकल पड़ता है। जहां समय माता के स्थान पर मंदिर के महंत अपने अनुयायियों के साथ पारंपरिक पूजन व अगवानी कर देवीपाटन मंदिर के गर्भगृह में भेजते हैं। आंशिक पूजन कर पात्र देवता को देवीपाटन मंदिर में स्थित दरीचे में ले जाकर स्थापित किया जाता है। राजा रत्नसेन को मां ने दिया था वरदान
देवीपाटन मंदिर का इतिहास पुस्तक के अनुसार पीर रत्ननाथ योगी (पात्र देवता) हजारों वर्ष पूर्व दांग चौखड़ा के राजा थे। जिन्हें राजा रत्नसेन कहा जाता था। महायोगी गुरु गोरखनाथ से प्रभावित होकर उनसे दीक्षा ली थी। उन्हीं के निर्देश पर शक्तिपीठ पहुंचकर मां पाटेश्वरी की आराधना करते हुए यहां तपस्या की। प्रसन्न होकर आदिशक्ति ने रत्ननाथ को वरदान दिया था कि उनके द्वारा पूजा यहां होती रहेगी। तभी से पीर रत्ननाथ की यात्रा चैत्र नवरात्र की पंचमी को शक्तिपीठ देवीपाटन पहुंचती है। जहां मंदिर के प्रधान पुजारी पूजन व्यवस्था पीर रत्ननाथ मंदिर दांग चौखड़ा नेपाल के पुजारियों को सौंप देते हैं। भारत व नेपाल के प्रमुख मंदिरों की सदियों पुरानी यह परंपरा दोनों देशों के मैत्री व रोटी-बेटी के संबंधों को प्रगाढ़ कर रही है।