अदालत को गुमराह कर रहे कानून के सिपाही
कानून के सिपाही ही कानून को ठेंगा दिखा रहे हैं। अदालती आदेशिका का पालन समय से न होने के कारण दस साल से मामला लंबित चल रहा है। दोनों मामलों में यदि अदालती आदेश का पालन पुलिस कर्मी समय से करा देते तो मुकदमा निस्तारित हो जाता। अदालत ने पुलिस कर्मी का वेतन रोकने के साथ ही पुलिस अधीक्षक को पत्र भी प्रेषित किया है।
बलरामपुर : कानून के सिपाही ही कानून को ठेंगा दिखा रहे हैं। अदालती आदेशिका का पालन समय से न होने के कारण दस साल से मामला लंबित चल रहा है। दोनों मामलों में यदि अदालती आदेश का पालन पुलिस कर्मी समय से करा देते तो मुकदमा निस्तारित हो जाता। अदालत ने पुलिस कर्मी का वेतन रोकने के साथ ही पुलिस अधीक्षक को पत्र भी प्रेषित किया है।
केस एक : मामला थाना महराजगंज तराई का है। न्यायालय में सरकार बनाम हरी सिंह दुष्कर्म का मामला आठ साल से विचाराधीन है। प्रकरण में पूर्व में आठ गवाहों का बयान अंकित कराया जा चुका है। पीड़िता का बयान देना बाकी है। प्रभारी निरीक्षक राजितराम को अदालत ने एक मार्च को नोटिस निर्गत कर पीड़िता को बयान के लिए हाजिर कराने का आदेश जारी किया। अदालती आदेश का तामीला होने के बावजूद प्रभारी निरीक्षक ने पीड़िता को हाजिर कराकर बयान कराने में कोई रुचि नहीं ली। कारण भी स्पष्ट नहीं किया। न्यायालय ने प्रभारी निरीक्षक का वेतन अग्रिम कार्रवाई तक रोकने व पीड़िता को अदालत हाजिर कराने संबंधी पत्र पुलिस अधीक्षक को भेजा है।
केस दो : मामला कोतवाली देहात का है। न्यायालय में सरकार बनाम पुंडरीक मामला दस वर्ष से विचाराधीन है। जो हत्या के प्रयास व गिरोहबंद अधिनियम का मामला है। मामले के विवेचक रामशरण चौधरी का बयान होना शेष है। इस प्रकरण में आठ गवाहों का बयान पूर्व में अंकित हो चुका है। न्यायालय ने विवेचक को गवाही के लिए कई बार साक्षी सम्मन भेजा। पुलिस अपने विभाग में कार्यरत कर्मी पर साक्षी सम्मन का तामीला नहीं करा रही है। जिसके कारण प्रकरण का निस्तारण होने में आवश्यक विलंब हो रहा है। न्यायालय ने प्रकरण में पुलिस अधीक्षक को पत्र प्रेषित कर विवेचक को न्यायालय हाजिर कराने का आदेश दिया है। अभियोजन अधिकारी शैलेश कुमार चतुर्वेदी का कहना है कि पुलिस कर्मी विभाग के गवाह को हाजिर कराने में रुचि नहीं ले रहे हैं।