संसाधन की कमी, सड़कों पर छीन रही जिदगी
यातायात विभाग में 31 लोगों के सापेक्ष एक दारोगा दो हेड कांस्टेबल व 11 आरक्षी हैं
बलरामपुर : यातायात नियमों का पालन कराने में कहीं संसाधन की कमी आड़े आ रही है तो कहीं भ्रष्टाचार मनमानी को बढ़ावा दे रहा है। यातायात पुलिस के पास पर्याप्त आरक्षी हैं और न ही अन्य संसाधन। वहीं तमाम लोग यातायात नियमों का उल्लंघन करने के बावजूद भ्रष्टाचार के चलते बच जा रहे हैं। संसाधनों की किल्लत, इच्छाशक्ति की कमी, काम में लापरवाही भारी पड़ रही है। इससे दुर्घटनाओं का आंकड़ा तेजी से बढ़ रहा है। नियम पालन करने की ललक बिचौलियों की कमाई बन गई है। कारण संभागीय परिवहन कार्यालय से लाइसेंस व फिटनेस के लिए एड़ी से चोटी का जोर लगाना पड़ता है फिर भी नहीं मिल पाता। ऐसे में न चाहते हुए भी लोग नियम अनदेखी के लिए विवश हो जाते हैं। आधे से कम है तैनाती :
-जागरूकता के लिए अभियान तो हमेशा चलते हैं, लेकिन संसाधनों की कमी हर बार अभियान की हवा निकाल देती है। यातायात विभाग में 31 लोगों के सापेक्ष एक दारोगा, दो हेड कांस्टेबल व 11 आरक्षी हैं। आरक्षियों के लिए सरकारी आवास या बैरक नहीं है। वाहन के नाम पर दो मोटरसाइकिलें हैं जबकि प्रत्येक आरक्षी के पास बाइक व प्रभारी के पास चौपहिया वाहन जरूरी है। एक साथ तीन जगह जाम लगने पर यातायात पुलिस बेबस हो जाती है। दो प्रदूषण मापक यंत्र है। दोनों खराब है।
जिम्मेदार के बोल: एआरटीओ अरविद कुमार का कहना है कि आवेदन,टेस्ट आदि प्रक्रिया पूरी करने के बाद ड्राइविग लाइसेंस जारी किया जाता है। परिवहन कार्यालय की अन्य सेवाएं भी प्रक्रिया पूरी होते ही दे दी जाती है। कोई भ्रष्टाचार नहीं है। शिकायत मिली तो संबंधित पर कार्रवाई की जाएगी। यातायात प्रभारी वीरेंद्र यादव का कहना है कि जाम व दुर्घटना को रोकने के लिए लगातार प्रयास किया जाता है।