केंद्र खुला तो उद्घाटन करना भूल गए जिम्मेदार
बलरामपुर : ब'चों को कुपोषण से बचाने के लिए बनाए गए मुख्यमंत्री सुपोषण केंद्र का चार माह बाद भी संचालन नहीं हो सका है। केंद्र उद्घाटन के अभाव में फंस गया है। केंद्र पर पांच वर्ष तक के ब'चों को सुपोषित करना है। जिसमें कुपोषित ब'चों को संतुलित आहार, इलाज एवं देखरेख की व्यवस्था विशिष्ट चिकित्सक, स्टाफ नर्स व सलाहकार की देखरेख में होनी है। सीएचसी अधीक्षक डॉ. वीरेंद्र आर्य ने बताया कि नवंबर में अस्पताल के एक कक्ष में छह शैय्या का मुख्यमंत्री सुपोषण केंद्र बना दिया गया।
बलरामपुर : बच्चों को कुपोषण से बचाने के लिए बनाए गए मुख्यमंत्री सुपोषण केंद्र का चार माह बाद भी संचालन नहीं हो सका है। केंद्र उद्घाटन के अभाव में फंस गया है। केंद्र पर पांच वर्ष तक के बच्चों को सुपोषित करना है। जिसमें कुपोषित बच्चों को संतुलित आहार, इलाज एवं देखरेख की व्यवस्था विशिष्ट चिकित्सक, स्टाफ नर्स व सलाहकार की देखरेख में होनी है। सीएचसी अधीक्षक डॉ. वीरेंद्र आर्य ने बताया कि नवंबर में अस्पताल के एक कक्ष में छह शैय्या का मुख्यमंत्री सुपोषण केंद्र बना दिया गया। जिसे सुपोषण पुनर्वास केंद्र के नाम से जाना जाता है। क्षेत्र के पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों को रखा जाएगा जो आर्थिक रूप से कमजोर होने के कारण कुपोषण के शिकार हो जाते हैं। इन कुपोषित बच्चों को आंगनबाड़ी कार्यकर्ता चिन्हित करके स्वास्थ्य केंद्रों पर लाएंगी। इस केंद्र का संचालन कब से होगा। इस बारे में कोई निर्देश नहीं मिला है। बताया कि केंद्र के संचालन के लिए जिन अतिरिक्त स्वास्थ्य कर्मियों की तैनाती होनी है। वह भी नहीं आएं है। यहीं नहीं कुपोषित बच्चों को पोषण के साथ साथ रहने, शौचालय, स्वच्छ पेयजल व स्नान के लिए गीजर युक्त गर्म पानी से संतृप्त स्नानघर का निर्माण होना है। जिसकी कवायद अभी नहीं शुरू हो सकी है।
1803 बच्चे कुपोषित
-क्षेत्र के 115 ग्राम पंचायतों में स्थित 209 आंगनबाड़ी केंद्रों में पंजीकृत बच्चों में से जो अति कुपोषित होगा। उसे अधिकतम 20 दिन के लिए भर्ती करके स्वस्थ बनाने का प्रयास होगा। बाल विकास परियोजना अधिकारी गरिमा श्रीवास्तव ने बताया कि क्षेत्र के 1803 बच्चे कुपोषित हैं, लेकिन अत्यधिक कुपोषित बच्चों को स्वास्थ्य विभाग से गठित टीम ही चयन करके उनको सुपोषण केंद्र में भेजती है।