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अस्पताल को बर्न यूनिट का मिला ताज, मगर नसीब नहीं होता इलाज

साथ ही चिकित्सक स्टाफ नर्स व चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के लिए उच्चाधिकारियों को पत्र भी लिखा है। साथ ही चिकित्सक स्टाफ नर्स व चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के लिए उच्चाधिकारियों को पत्र भी लिखा है। साथ ही चिकित्सक स्टाफ नर्स व चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के लिए उच्चाधिकारियों को पत्र भी लिखा है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 27 Jan 2020 11:01 PM (IST)Updated: Mon, 27 Jan 2020 11:01 PM (IST)
अस्पताल को बर्न यूनिट का मिला ताज, मगर नसीब नहीं होता इलाज
अस्पताल को बर्न यूनिट का मिला ताज, मगर नसीब नहीं होता इलाज

श्लोक मिश्र, बलरामपुर : संयुक्त जिला चिकित्सालय में करोड़ों की लागत से तैयार बर्न यूनिट का लाभ घायलों को नहीं मिल पा रहा है। बर्न यूनिट में संसाधनों का अभाव है। जिससे अग्नि पीड़ितों को बहराइच या लखनऊ ले जाना पड़ जाता है। कई बार रास्ते में ही पीड़ितों की मौत हो जाती है। समस्या के निजात को लेकर अधिकारी और जनप्रतिनिधि उदासीन बने हुए हैं।

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2018 में सीएमओ को हस्तांतरित किया गया था भवन : संयुक्त जिला चिकित्सालय में प्लास्टिक सर्जरी एंड बर्न यूनिट के निर्माण को वर्ष 2014-15 में स्वीकृति मिली। दिसंबर 2017 में भवन तैयार हो गया। कार्यदायी संस्था ने फरवरी 2018 में उसे सीएमओ को हस्तांतरित भी कर दिया, लेकिन तब से भवन बंद है। ऐसे में अग्निकांड में घायल मरीजों को जिले में इलाज नहीं मिल रहा है।

फार्मासिस्ट को मिला प्रभार : अस्पताल प्रशासन ने बर्न यूनिट के भवन को संसाधनों से सुसज्जित करने के लिए इंजेक्शन काउंटर पर तैनात फार्मासिस्ट सैय्यद मोइज को बर्न एवं प्लास्टिक यूनिट का अतिरिक्त प्रभार दिया है। उनकी जिम्मेदारी तीन साल से बंद भवन की साफ-सफाई कराकर उसे संसाधनों से सुसज्जित करना है। साथ ही चिकित्सक, स्टाफ नर्स व चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के लिए उच्चाधिकारियों को पत्र लिखने की बात कही जा रही है।

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कोट :

प्लास्टिक सर्जरी एंड बर्न यूनिट में पद सृजन व संसाधनों के लिए उच्चाधिकारियों को कई पत्र भेजे गए थे, लेकिन परिसर मेडिकल कॉलेज को दिए जाने के बाद प्रक्रिया ठप हो गई। संसाधन व चिकित्सक मिलने पर बर्न यूनिट शुरू कर दी जाएगी।

- डॉ. घनश्याम सिंह

(सीएमओ)


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