नेपाल में छाया बेरोजगार सुशील का रोजगार
पत्नी के साथ मिलकर रोजाना 300 जोड़ी चप्पल करता है तैयार 10 रुपये मुनाफा ले करता बिक्री
पवन मिश्र, बलरामपुर:
कोरोना काल में बेरोजगार हुए मदरहवा गांव निवासी सुशील ने अपने हुनर के दम पर न केवल खुद को स्वावलंबी बनाया, बल्कि बेटी करिश्मा के नाम से चप्पल की फैक्ट्री डालकर उसे उपहार दिया। उसके बनाए सूर्या व करिश्मा ब्रांड की हवाई चप्पल देश ही नहीं, नेपाल के बाजारों में भी धूम मचा रही है। पत्नी मंजू गुप्ता के साथ मिलकर वह रोजाना 300 जोड़ी चप्पल तैयार करता है। साथ ही दो श्रमिकों को भी रोजगार दिया है। एक चप्पल की लागत 42 रुपये आती है। इसे 10 रुपये मुनाफे में बेचा जाता है। नेपाल के चंदरौटा बाजार में चप्पलों की आपूर्ति के लिए साइकिल से जाता है।
लौटा था होकर बेरोजगार, अब बांट रहा रोजगार:
-मुंबई के पुणे में बांटा कंपनी में नौकरी कर रहा सुशील कुमार कोरोना काल में बेरोजगार हो गया। घर लौटते रास्ते में लोगों को नंगे पांव आते जाते देख उसने सोचा कि सस्ते में चप्पल मुहैया कराने का रोजगार करेगा। चप्पल बनाने का हुनर तो पहले से ही था,बस मशीन की जरूरत थी। मशीन के लिए पूंजी कम पड़ी तो उसे राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन ने मदद की। पत्नी मंजू को कोमल स्वयं सहायता समूह से जोड़ वहां से 50 हजार का ऋण ले लिया। आगरा से मशीन मंगाई और बेटी करिश्मा के नाम से फैक्ट्री खड़ी कर दी। वर्तमान में 300 जोड़ी चप्पल प्रतिदिन तैयार कर रहा है।
सूर्या व करिश्मा की बढ़ी डिमांड:
-सुशील ने घर पर चार मशीनें लगाई हैं। एक मशीन सीट काटती है। दूसरी डिजाइनिग करती है। तीसरी से ड्रिल व चौथे से पट्टा पहनाया जाता है। चप्पल वह 30 से 35 हजार रुपये कमा लेता है। सुशील ने बताया कि उसकी बनाई सूर्या व करिश्मा ब्रांड के चप्पल बालापुर, तुलसीपुर, भोजपुर, जयतापुर, जरवा कस्बों व नेपाल के चंदरौटा समेत अन्य बाजारों में तेजी से बिक रहे है। दुकानदार फोन से अपना आर्डर बुक कराते हैं। उनकी मांग के हिसाब से साइज की चप्पल तैयार कर स्वयं पहुंचाते हैं। छोटी फैक्ट्री को बड़ा करने का सपना है।