ऐसे तो पूरा होने से रहा थारू युवाओं का ख्वाब
बलरामपुर मिनी स्टेडियम बना प्रशिक्षक की तैनाती भी हुई। फिर भी भारत-नेपाल सीमा पर आबाद
बलरामपुर : मिनी स्टेडियम बना, प्रशिक्षक की तैनाती भी हुई। फिर भी भारत-नेपाल सीमा पर आबाद थारू खिलाड़ियों की पौध नहीं तैयार हो पा रही है। वजह, जिला युवा कल्याण विभाग से तैनात क्षेत्रीय युवा कल्याण अधिकारी पचपेड़वा जाना पसंद नहीं करते हैं।
तीन दिन जिला मुख्यालय और तीन दिन पचपेड़वा में प्रशिक्षण की जिम्मेदारी दी गई है। बावजूद इसके क्षेत्रीय युवा कल्याण अधिकारी विभागीय कार्यों की दुहाई देकर जिला मुख्यालय पर जमे रहते हैं। ऐसे में थारू युवाओं का ओलंपिक तक पहुंचने का ख्वाब पूरा होता नहीं दिख रहा है।
मुख्यमंत्री की मंशा को लगा रहे पलीता: भारत के अंतिम छोर पर बसे पचपेड़वा और गैंसड़ी विकास खंड के 54 गांवों में थारू जनजाति के करीब 35 हजार लोग आबाद हैं। मुख्यमंत्री का थारुओं से विशेष लगाव है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यहां की खेल प्रतिभाओं को निखारने के लिए मिनी स्टेडियम बनवाने की पहल की थी। थारुओं के उत्थान के लिए सतत प्रयासरत पंडित दीनदयाल शोध संस्थान ने स्टेडियम के निर्माण के लिए अपनी जमीन दान की थी। इस पर लाखों रुपये की लागत से स्टेडियम तो बना, लेकिन इसका लाभ युवाओं को कम ही मिल पा रहा है। ऐसे में क्रिकेट, हाकी, फुटबाल, एथेलेटिक्स, ताइक्वांडो समेत विभिन्न खेलों में अपना भविष्य तलाश करने का ख्वाब पूरा होता नहीं दिख रहा है।
स्टेडियम नहीं जाते प्रशिक्षक : पचपेड़वा में तैनात क्षेत्रीय युवा कल्याण अधिकारी तरुण कुमार तिवारी को मिनी स्टेडियम में प्रशिक्षक के रूप में तैनात किया गया है। उन्हें तीन दिन बलरामपुर और तीन दिन पचपेड़वा में प्रशिक्षण देना है। वह विभागीय मुखिया से साठगांठ कर जिला मुख्यालय पर ही जमे रहते हैं। जिला युवा कल्याण अधिकारी भी दरियादिली दिखाकर उनको विभागीय कार्यो में लगाए रहते हैं, जिससे उन्हें मुख्यालय से 70 किलोमीटर दूर न जाना पड़े। ऐसे में यहां के थारू युवा नियमित अभ्यास न होने से उच्च स्तरीय प्रतियोगिताओं से वंचित रह जाते हैं।
जांच कर होगी कार्रवाई: अपर जिलाधिकारी राम अभिलाष का कहना है कि यह प्रकरण गंभीर है। इसकी जांच करवाई जाएगी। लापरवाही मिलने पर संबंधित के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी।