डिजिटल प्लेटफार्म पर साहित्यिक धरोहरों की सुखद यात्रा
श्लोक मिश्र बलरामपुर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एक जुलाई 2015 को डिजिटल इंडिया की या˜
श्लोक मिश्र, बलरामपुर :
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एक जुलाई 2015 को डिजिटल इंडिया की यात्रा शुरू की, तो कोई तबका इससे अछूता न रहा। शिक्षा, स्वास्थ, सुरक्षा सेवाओं के साथ व्यापार ने भी खूब रफ्तार पकड़ी। इंटरनेट मीडिया के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए जिले के साहित्यप्रेमियों ने भी इसका सहारा लेना शुरू कर दिया। फेसबुक पर 'साहित्य मंडल बलरामपुर' पेज बनाया गया। इसके माध्यम से जिले की गौरवशाली साहित्यिक धरोहर एवं समकालीन काव्य साधकों की साहित्यिक सेवाओं की सुखद यात्रा करा रहा है। साहित्य की धरोहरों को आमजन तक पहुंचाने के साथ ही विभिन्न गतिविधियों से लोगों को परिचित कराया जाता है। साथ ही जिले के समृद्ध साहित्यकारों की रचनाओं को भी सामने ला रहा है।
96 साल से चल रहा साहित्य का सफर :
-यूं तो बलरामपुर का नाम पिछड़े जिलों में शुमार है, लेकिन यहां की विभूतियों ने साहित्य के क्षेत्र में देश ही नहीं विदेश में भी नाम रोशन किया है। मशहूर शायर बेकल उत्साही को पद्मश्री का खिताब भी मिल चुका है। यहां नवोदित रचनाकारों को मंच देने के लिए संस्था 'साहित्य संगम' करीब 96 साल से प्रयत्नशील है। आजादी के पूर्व वर्ष 1926 में संस्था का गठन हुआ। इससे जनपद ही नहीं, बल्कि गोंडा, श्रावस्ती व बहराइच जिले के कवि व शायर भी जुड़े। वर्तमान में संस्था के अध्यक्ष अंतरराष्ट्रीय साहित्यकार अरुण प्रकाश पांडेय साहित्य में रुचि रखने वालों को मंच मुहैया करा रहे हैं। समय-समय पर साहित्यिक गोष्ठी व कवि सम्मेलन का आयोजन किया जाता है। अरुण प्रकाश की अंग्रेजी में लिखित आठ कविताएं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चयनित हो चुकी हैं। इसमें एक कविता को प्रथम स्थान भी मिला है। उनकी अंग्रेजी में पुस्तक 'लक्ष्मण गोज टू फारेस्ट' व हिदी में 'बिखरे पल' प्रकाशित हो चुकी है। जो साहित्यप्रेमियों के लिए प्रेरणादायक साबित हो रही है।
कोरोना काल में इंटरनेट प्लेफार्म का सहारा :
-संस्था अध्यक्ष ने बताया कि कोरोना काल के दौरान साहित्य को जीवंत रखने के लिए इंटरनेट प्लेटफार्म का सहारा लिया गया। फेसबुक पर साहित्य मंडल बलरामपुर पेज बनाया गया। इसमें कहानीकार राजन द्विवेदी व युवा कवि देव समेत 25 साहित्यकार जुड़े हुए हैं। इन साहित्यकारों की रचनाएं युवाओं को प्रेरित करतीं हैं। खास बात यह है कि जो लोग गोष्ठी व कवि सम्मेलन में शिरकत नहीं कर पाते हैं, उन्हें घर बैठे सभी रचनाएं सुलभ मिल जाती हैं।