Balrampur: पिछड़ेपन के अंधियारे में किरण ने जगाई उम्मीद, बच्चों को पढ़ाने के लिए बदल दी जर्जर स्कूल की सूरत
हम बात कर रहे हैं प्राथमिक विद्यालय कोइलिहा की सहायक अध्यापक किरन गौतम की। वह न केवल अपने नवाचार से सरकारी स्कूल की शैक्षिक गुणवत्ता सुधारने में सफल हुई बल्कि विद्यालय की सूरत संवारने में भी अपनी भूमिका निभाई।
बलरामपुर, जागरण संवाददाता। यूं तो वह एक साधारण शिक्षिका के रूप में नीति आयोग के पिछड़े जिले के बदहाल स्कूलों में शिक्षण कार्य करने पहुंची थी। दो साल में तीन स्कूल बदल गए। अंतत: सदर ब्लाक के प्राथमिक विद्यालय कोइलिहा में इंचार्ज प्रधानाध्यापक के रूप में तैनाती मिली। विद्यालय की काया जर्जर थी। 35 से 40 बच्चों का नामांकन था। फिर कान्वेंट में पढ़ी कानपुर की बेटी ने नवाचार व गतिविधि आधारित शिक्षण शुरू किया, तो स्कूल की काया ही बदल गई।
हम बात कर रहे हैं प्रावि कोइलिहा की सहायक अध्यापक किरन गौतम की। वह न केवल अपने नवाचार से सरकारी स्कूल की शैक्षिक गुणवत्ता सुधारने में सफल हुई, बल्कि विद्यालय की सूरत संवारने में भी अपनी भूमिका निभाई।
समायोजन प्रक्रिया के तहत हुआ था स्थानांतरण
कानपुर की रहने वाली किरन गौतम की भर्ती वर्ष 2015 में रेहराबाजार के हंसऊपुर में सहायक अध्यापक के रूप में हुई थी। वह अपने ढाई साल के बच्चे को गोद में लेकर दुर्गम रास्तों से विद्यालय आती-जाती रही। दो साल मशक्कत के बाद 2017 में समायोजन प्रक्रिया के तहत उनका स्थानांतरण सदर ब्लाक के हंसुवाडोल विद्यालय में सहायक अध्यापक के पद पर हुआ।
अधिगम सामग्री से दी बच्चों को शिक्षा
28 जुलाई को उन्हें प्रावि कोइलिहा में तैनाती मिल गई। स्कूल में बच्चों की संख्या कम थी। चूंकि कान्वेंट स्कूल में पढ़ी थी, तो उस ज्ञान को यहां के बच्चों में बांटने के विचार ने बेहतर करने की प्रेरणा दी। फिर किरन ने गतिविधि, खेल-खेल में सीखें, शिक्षण अधिगम सामग्री से शिक्षा देना शुरू किया।
प्रयास से निखरा मेहनत का रंग
स्कूल में नामांकन के लिए वह घर-घर जाकर अभिभावकों को प्रेरित करने लगीं। किरन का प्रयास रंग लाने लगा। बच्चों की संख्या धीरे-धीरे बढ़ने लगी। किरन ने 22 दिसंबर 2018 में सांस्कृतिक गतिविधि के अंतर्गत वार्षिकोत्सव का आयोजन कराया।
मेहनत ने दिलाया नारी गौरव सम्मान
मेहनत का परिणाम रहा कि इस विद्यालय की गिनती अच्छे स्कूलों में होने लगी। अक्टूबर 2019 में ब्रजेश द्विवेदी की तैनाती प्रधानाध्यापक के रूप में हुई। फिर किरन ने उनके सहयोग से बच्चों को सरल व रोचक ढंग से पढ़ाने के नए-नए तरीके सीखे। उत्कृष्ट शिक्षण के लिए तत्कालीन बीएसए डा. रामचंद्र ने किरन को नारी गौरव सम्मान से पुरस्कृत किया।