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जिदगी की छोड़ परवाह, अंकिता बनीं मरीजों की हमराह

हेल्प डेस्क ईएमटी की सक्रियता से बची जचा-बचा की जान दो हजार प्रसूताओं को विपरीत समय में दिलाई एंबुलेंस

By JagranEdited By: Published: Mon, 19 Apr 2021 10:56 PM (IST)Updated: Mon, 19 Apr 2021 10:56 PM (IST)
जिदगी की छोड़ परवाह, अंकिता बनीं मरीजों की हमराह
जिदगी की छोड़ परवाह, अंकिता बनीं मरीजों की हमराह

बलरामपुर : मातृ-शिशु मृत्यु दर जिले में हमेशा एक बड़ी समस्या रही है। जागरूकता व संसाधनों के अभाव में अक्सर ग्रामीण अंचलों के लोग घरों में ही प्रसव कराना बेहतर समझते हैं। वैश्विक महामारी कोरोना के कारण लाकडाउन में समस्या और विकराल हो गई। यूं तो गर्भवती को अस्पताल लाने ले जाने के लिए 102 एंबुलेंस सेवाएं जारी थीं, लेकिन लोग इससे परहेज करते रहे।

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वजह, कोरोना मरीजों को एंबुलेंस से ही एल-वन व एल-टू अस्पताल ले जाया जाता था। ऐसे में ग्रामीणों को 108, 102 व एएलएस एंबुलेंस का अंतर समझाना मुश्किल था। इस कठिन दौर में संयुक्त अस्पताल की हेल्प डेस्क इमरजेंसी मेडिकल टेक्नीशियन अंकिता सिंह मरीजों की हमराह बन गईं।

अयोध्या जिले की रहने वाली अंकिता ने महामारी की चिता छोड़कर जच्चा-बच्चा की जिदगी बचाना ही अपना फर्ज समझा। गर्भवती को समय रहते इलाज के लिए एंबुलेंस सुलभ कराने के साथ ही 102 एंबुलेंस की उपयोगिता समझाई। कोरोना काल में दो हजार से अधिक प्रसूताओं को एंबुलेंस मुहैया कराकर आफत की घड़ी में मददगार बनी है।

जनपद सृजन के 24 साल बाद भी इस पर अपेक्षित नियंत्रण नहीं पाया जा सका है। इसकी सबसे अहम वजह घरों में प्रसव का होना है। निश्शुल्क एंबुलेंस सेवा, जननी सुरक्षा योजना व मातृत्व वंदना योजना लागू होने के बाद परिवर्तन देखने को मिला। जब कोरोना ने अपने पांव पसारे तो लाकडाउन के कारण परिवहन की सरकारी व निजी सुविधाएं भी ठप हो गईं थीं। ऐसे में गर्भवती को समय रहते अस्पताल पहुंचाने का एकमात्र जरिया 102 एंबुलेंस ही था।

हेल्प डेस्क एंबुलेंसकर्मी अंकिता सिंह ने 2019 में जिला महिला अस्पताल में ड्यूटी ज्वाइन की थी। इसके बाद वह संयुक्त अस्पताल में स्थानांतरित हुईं। कोरोना की चुनौती सामने आने पर भी हिम्मत नहीं हारी। महामारी का प्रकोप तेज होने पर एक बार मां-बाप ने घर लौटने के लिए दबाव भी बनाया, लेकिन अंकिता जिदगी की परवाह छोड़ अपने फर्ज को अहमियत देते हुए डटी रहीं।

..और समझ गए लोग :

अंकिता बताती हैं कि कोरोना काला में अस्पताल में प्रसव के बाद जच्चा-बच्चा को एंबुलेंस से घर पहुंचाने की बात पर परिवारजन कतराते थे। इस पर उन्हें सहजता से 102, 108 व एएलएस एंबुलेंस का अंतर समझाया गया। साथ में करीब दो हजार से अधिक लोगों को एंबुलेंस का लाभ दिलाया।

सीएमओ डा. वीबी सिंह का कहना है कि हेल्प डेस्क ईएमटी अंकिता का कार्य सराहनीय है। अन्य कर्मियों को भी उससे सीख लेनी चाहिए।


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