लावारिस शवों के वारिस हैं 'शाबान'
बलरामपुर : नगर में रहने वाले शाबान अली लावारिस शवों का उनके धर्म के अनुसार अंतिम संस्का
बलरामपुर : नगर में रहने वाले शाबान अली लावारिस शवों का उनके धर्म के अनुसार अंतिम संस्कार कराकर समाज सेवा की मिसाल बने हैं। देश सेवा मानकर नि:स्वार्थ भाव से शाबान अली 15 वर्ष से लावारिस शव का अंतिम संस्कार करने में जुटे हैं। लावारिस शव मिलने पर पुलिस पहले सूचना शाबान अली को देती है। उसके बाद परिवार की तलाश शुरू करती है। पुलिस की सूचना पर वह थाना पहुंचकर शव के धर्म का पता करते हैं। उसके बाद श्मशान घाट या कब्रिस्तान लेकर पहुंचते हैं। वहां परंपरागत तरीके से अंतिम संस्कार किया जाता है।
नगर के पानीटंकी मुहल्ला निवासी शाबान अली का कहना है कि उनके पिता मोहम्मद हलीम लावारिस शवों का अंतिम संस्कार कराते थे। उनके साथ कई बार कब्रिस्तान गए। उन्हीं से प्रेरणा मिली। उनके न रहने पर उसी परंपरा को आगे बढ़ा रहा हूं। पहले मुख्यालय के दो थाना कोतवाली नगर व देहात क्षेत्र में मिलने वाले शवों का ही अंतिम संस्कार करवाते थे। पोस्टमार्टम हाउस का संचालन शुरू होने से अब जिले के सभी थाना क्षेत्रों में मिलने वाले लावारिस शव को अंतिम आरामगाह तक पहुंचाया जा रहा है। बताते हैं कि घटनास्थल से मिलने वाले साक्ष्यों के आधार पर धर्म का पता लगाया जाता है। इस कार्य में लगने वाला सारा खर्च स्वयं उठाते हैं लेकिन, श्मशान घाट व कब्रिस्तान तक जाने वाले कई लोग उनके साथ जुड़े हैं।
बताते हैं कि कई बार शव दफन होने के बाद परिवार के लोग आते हैं। उनको संबंधित थाना भेजकर फोटो व कपड़े से पहचान कराई जाती है। शव की पहचान होने पर परिवार के लोगों को शवदाह स्थल व कब्र दिखा दी जाती है। यह भी देश सेवा है। अब तक एक हजार से अधिक शवों का अंतिम संस्कार कर चुके हैं। इस कार्य में उनकी पत्नी नगर पालिका अध्यक्ष किताबुन्निशा भी साथ देती हैं।