नौकरी नहीं भायी तो खेती में किस्मत आजमाई
बलरामपुर: विकास खंड रेहरा बाजार क्षेत्र के ग्राम पंचायत दतलूपुर निवासी रमेश चौहान ने परास्न
बलरामपुर: विकास खंड रेहरा बाजार क्षेत्र के ग्राम पंचायत दतलूपुर निवासी रमेश चौहान ने परास्नातक व बीएड की परीक्षा पास करने के बाद नौकरी के पीछे नहीं भागे। रेडियो पर खेती- किसानी के बारे में सुना। इसके बाद नौकरी करने का इरादा बदल दिया। खेती करने की सोची। उद्यान विभाग से केले व पपीते की खेती की योजना पता कर वैज्ञानिक तरीके से देशी खाद डालकर खेत तैयार किया। पहले एक हेक्टेयर में केले के पौधे लगाकर अच्छा मुनाफा कमाया। मेहनत व लगन से धीरे-धीरे खेती का रकबा बढ़ने लगा। आज चार एकड़ में केले की खेती लहलहा रही है। रमेश चौहान कहते हैं कि केले के उत्पादन को बेचने के लिए बाजार खोजना पड़ता था। केले को स्थानीय व बाहर व्यापारी के खेत में आकर स्वयं के वाहन से ले जाते थे। इसके बाद फैजाबाद, पंजाब, हरियाणा के व्यापारी उसके खेतों तक पहुंचने लगे। बताया कि बाजार भाव अच्छा होने पर प्रति हेक्टेयर आठ से दस लाख रुपये की बचत हो जाती है। उन्होंने गांव के दस लोगों को रोजगार भी दे रखा है, जिन्हें तीन से पांच हजार रुपये वेतन भी दे रहे हैं। केले की खेती की सफलता से प्रभावित हो क्षेत्रीय व दूसरे जिलों के किसान खेती के गुर सीखने आते हैं। उनकी पहचान क्षेत्र में कृषि सलाहकार के रूप में है। जखौली, दतलूपुर, इटई अब्दुला गांव के किसान धान, गेहूं, गन्ने की खेती छोड़कर केले की खेती कर रहे हैं।
सामाजिक कार्यों में भी लेते हैं हिस्सा
रमेश चौहान खेती के साथ सामाजिक कार्यों में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते हैं। ग्रामीणों को नशे की लत छोड़ने, बच्चों को शिक्षित करने, स्वास्थ्य व स्वच्छता के प्रति जागरूक करने में वह प्रयासरत हैं।