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पानी बरसै आधे पूस, आधा गेहूं, आधा भूस

बलरामपुर : गांव की कहावत है पानी बरसै आधे पूस, आधा गेहूं, आधा भूस। जनकवि घाघ की यह क

By JagranEdited By: Published: Wed, 17 Jan 2018 10:29 PM (IST)Updated: Wed, 17 Jan 2018 10:29 PM (IST)
पानी बरसै आधे पूस, आधा गेहूं, आधा भूस
पानी बरसै आधे पूस, आधा गेहूं, आधा भूस

बलरामपुर : गांव की कहावत है पानी बरसै आधे पूस, आधा गेहूं, आधा भूस। जनकवि घाघ की यह कहावत क्षेत्रीय किसानों के लिए ¨चता का विषय बनी हुई है। पूस माह का एक पखवाड़ा बीत गया लेकिन बारिश नहीं हुई। बारिश न होने से गेहूं का उत्पादन प्रभावित हो सकता है। ऐसे में किसान खेतों में खड़ी गेहूं की फसल को लेकर परेशान दिख रहे हैं।

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रबी की फसल के लिए वर्षा बहुत लाभदायक होती है। किसानों का गेहूं खेतों में कोहरे व पाले से प्रभावित हो रही है। बारिश न होने से फसलों को पानी नहीं मिल पा रहा है। ऐसे में जब फसलों को पानी की सबसे ज्यादा आवश्यकता है तो नहरें व नलकूप भी किसानों को दगा दे गए। अब किसान अपनी पैदावार बचाने के लिए जद्दोजहद कर रहा है। किसान कल्लू राम व कनिकराम वर्मा का कहना है कि गेहूं की फसल के लिए पूस की बारिश लाभदायक है। बारिश न हुई तो दस फीसदी गेहूं का उत्पादन प्रभावित होगा। पानी न मिलने से गेहूं की बालियों का आकार छोटा होता है। सीताराम, नबी हसन, राम देव, जगदीश प्रसाद का कहना है कि दलहनी व तिलहनी फसलें कोहरे व पाले की मार से प्रभावित हुई हैं। वहीं अब गेहूं की फसल भी पानी के अभाव में बर्बाद हो सकती है। कृषि वैज्ञानिक की मानें तो मौसम का यही हाल रहा तो 159080 हेक्टेयर क्षेत्रफल में बोया गेहूं, 5471 हेक्टेयर मे बोई सरसों व 1850 हेक्टेयर राई व मटर की फलियों में 20 फीसदी तक कमी की आशंका हैं।


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