52 समितियों का होगा कायाकल्प, तीन जगह बनेंगे गोदाम
देश के सबसे पिछड़े जिलों में शुमार किसानों की आय
बलरामपुर: देश के सबसे पिछड़े जिलों में शुमार किसानों की आय बढ़ाने के लिए न केवल सरकार गंभीर है, बल्कि उन्हें सुविधाएं मुहैया कराने के लिए भी संजीदा है। आत्मनिर्भर भारत योजना के तहत वर्षों से जीर्ण-शीर्ण पड़ी सहकारी समितियों के भवनों का कायाकल्प करने की तैयारी है। चकवा, खरदौरा व ललिया में सहकारी समितियों के नए गोदाम बनाए जाएंगे। यही नहीं, जमनी खुर्द, पचपेड़वा, हरखड़ी, तुलसीपुर, बेलीखुर्द, भौरी कला, सेखुई कला, अचलपुर परसिया सहित 21 समितियों के भवन जर्जर हैं। उनकी मरम्मत कराई जाएगी। बिल्कुल जर्जर होकर बेकार हो चुके लिलवा, रामनगर, श्रीनगर, चकवा समेत 31 समितियों के नए भवन बनेंगे। सात समितियों का हो चुका है कायाकल्प, 55 भवनों के लिए बजट की दरकार। किसानों को आसानी से मिल सकेगी खाद व बीज:
जिले में कुल 62 सहकारी समितियां हैं। इनमें गुगौली, लालपुर, विशुनपुर, बरगदही, पोखरभिटवा, कोहड़ौरा, कमदी खुर्द, वीरपुर कला समेत सात समितियों का नया भवन बन चुका है। शेष 55 समितियों का कायाकल्प हो जाने से उनके भवन में खाद, बीज व कीटनाशक दवाएं रखी जा सकेंगी। व्यापार बढ़ने से सचिवों को कमीशन के लिए जद्दोजहद नहीं करनी पड़ेगी। साथ ही किसानों को खाद, बीज व कीटनाशक दवाएं सस्ते दर पर उनके घर के आसपास ही मिल जाएंगी। भेजा जा चुका है प्रस्ताव :
एआर सहकारिता अशोक कुमार ने बताया कि सहकारी समितियों के भवन वर्ष 1969 पूर्व के हैं। इनमें अधिकांश जर्जर हो गए हैं। इनकी मरम्मत के लिए कोई बजट नहीं मिलता है। मरम्मत के लिए बजट की मांग फरवरी 2018 में की गई थी। तीन दिसंबर 2019 को अनुस्मारक भेजा गया। दो माह पूर्व प्रस्ताव भेजा जा चुका है।