कुआनो पुल पर हुआ था बापू का स्वागत
देश से अंग्रेजों को खदेड़ने के लिए गांधी जी ने असहयोग आंदोलन चलाया था। अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ लड़ाई के लिए धन एकत्र करने को गांधी जी ने देश भ्रमण शुरू किया। उसी दौरान महात्मा गांधी जी का जिले में आना हुआ।
बलरामपुर :
1920 से 1929 के दौरान महात्मा गांधी देश से अंग्रेजों को खदेड़ने के लिए असहयोग आंदोलन चला रहे थे। अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ लड़ाई के लिए धन एकत्र करने को गांधी जी ने देश भ्रमण शुरू किया। उसी दौरान महात्मा गांधी जी का जिले में आना हुआ। बलरामपुर राजपरिवार के तत्कालीन महाराजा पाटेश्वरी प्रसाद सिंह ने गोंडा मार्ग पर कुआनो पुल के पास बापू का स्वागत किया था। उनके स्वागत में यूरोपियन गेस्ट हाउस (वर्तमान में माया होटल) को खद्दर से सजाया गया था।
वैसे महात्मा गांधी का जिले में आने का कार्यक्रम पहले नहीं था। इनका कार्यक्रम गोंडा जिले में लगा था। स्वतंत्रता संग्राम के सिपाही मौलवी अहमद जमा खां व उनके साथियों को इसकी जानकारी हुई। मौलवी साहब ने गांधी जी को बलरामपुर लाने के लिए शहरवासियों से सहयोग मांगा, लेकिन उनको सफलता नहीं मिली। ये बात करीब 89 वर्ष के पूर्व विधायक सुखदेव प्रसाद जी को आज भी याद है। वह कहते हैं उस समय तो वह नहीं थे, लेकिन उनके पिता जी बापूजी के आने की कहानी अक्सर सुनाया करते थे। पिता जी की बताई बातें अच्छी तरह से याद हैं। बताते थे कि बापू के आने की अनुमति तत्कालीन अंग्रेज अधिकारियों ने पहले नहीं दी थी। स्वतंत्रता संग्राम के सिपाही मौलवी साहब ने गांधी जी को आजादी की लड़ाई में सहयोग देने व बुलाने की अपनी इच्छा महाराजा बलरामपुर के दरबार में पहुंचाई। जिस पर महाराजा पाटेश्वरी प्रसाद सिंह तैयार हो गए। उन्होंने गांधी जी के जोरदार स्वागत की तैयारी स्वयं संभाली। महाराजा ने चार व महारानी ने महिलाओं की तरफ से बापू को दो हजार रुपये की थैली भेंट की थी। जिसका जिक्र राष्ट्रीय स्वतंत्रता संघर्ष नामक किताब में भी है।