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विकास के दावों को आईना दिखा रहा मगही नदी पर बना लकड़ी का पुल

सरकारे भले ही विकास का ठिठोरा पिटती आ रही है। तरह-तरह के दावों को सुन जनता थक चुकी है। ऐसे में यदि कुछ गांव अपनी दुर्दशा का चित्र बयां करे तो नेताओं के विकास के सारे पोल खुल जाते हैं। जिले के ऐसे ही कुछ गांव है कोटमझरिया, भीखमपुर, अजोरपुर, रामपुर। ये सभी गांव हनुमानगंज ब्लाक के अंग हैं। यहां हर साल लोग खुद से चंदा लगाकर लकड़ी का अस्थाई पुल बनाते हैं और उसी पर आवागमन करते हैं। रहनुमाओं को इस बात की जानकारी है फिर भी आज तक गांव वालों के इस समस्या का हल नहीं निकल सका।

By JagranEdited By: Published: Thu, 15 Nov 2018 10:41 PM (IST)Updated: Thu, 15 Nov 2018 10:41 PM (IST)
विकास के दावों को आईना दिखा रहा मगही नदी पर बना लकड़ी का पुल
विकास के दावों को आईना दिखा रहा मगही नदी पर बना लकड़ी का पुल

जागरण संवाददाता, बलिया : सरकार भले ही विकास का ढिढोंरा पीटती आ रही है। तरह-तरह के दावों को सुन जनता थक चुकी है। ऐसे में यदि कुछ गांव अपनी दुर्दशा का चित्र बयां करे तो नेताओं के विकास के सारे पोल खुल जाते हैं। जिले के ऐसे ही कुछ गांव है कोटमझरिया, भीखमपुर, अजोरपुर, रामपुर, मिल्की के मठिया, भिखारीपुर। ये सभी गांव हनुमानगंज ब्लाक के अंग हैं। यहां हर साल लोग खुद से चंदा लगाकर लकड़ी का अस्थाई पुल बनाते हैं और उसी पर आवागमन करते हैं। रहनुमाओं को इस बात की जानकारी है फिर भी आज तक गांव वालों के इस समस्या का हल नहीं निकल सका। आज भी अपनी जान दाव पर लगाकर उस पर चलने को ग्रामीण मजबूर हैं। हनुमानगंज ब्लाक अंर्तगत इन गांवों में हजारों की आबादी रहती है। इस क्षेत्र के लोगों का नजदीकी बाजार और शिक्षा का सेंटर चितबड़ागांव है। जो मात्र तीन किमी दूर है लेकिन पुल न रहने के कारण इस क्षेत्र के लोगों को 10 से 15 किमी की दूरी तय कर बलिया बाजार करने जाना पड़ता है। इस क्षेत्र के लोग पिछले 40 वर्षों से पक्का पुल की मांग कर रहे हैं। इस क्षेत्र के जनप्रतिनिधि मंत्री उपेन्द्र तिवारी ने विधायक रहते हुए पक्का पुल बनाने का आश्वासन दिया था। लेकिन अभी तक यह मूर्त रूप नहीं ले सका। मुख्य मार्ग एनएच-31 से इस गांव की दूरी मात्र डेढ़ किमी है। उसके बाद भी यह क्षेत्र विकास से कोसों दूर है। इस क्षेत्र के लोग अपने बच्चे सहित अन्य संसाधनों के अभाव के कारण पलायन होने को मजबूर हैं।

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छह माह स्कूल नहीं जाते बच्चे

इन गांवों के अधिकांश बच्चे कक्षा आठ के बाद काफी परेशान और जान जोखिम में डालकर आगे की पढ़ाई करते हैं। उच्च शिक्षा के लिए सबसे नजदीक स्कूल चितबड़ागांव या सागरपाली पड़ता सागरपाली जाने में ज्यादा खर्च होने के कारण अभिभावक अधिकांश बालिकाओं की पढ़ाई तक छुड़ा देते हैं। जब तक काठ का पुल काम करता है तब तक यहां की राह आसान रहती है, वहीं जब मगही नदी का पानी बढ़ने लगता है तो यह पुल भी स्वत: समाप्त हो जाता है। ------------वर्जन-----------

मगही नदी पर गांव के सामने बाढ़ खत्म होने पर हर साल बांस के पुल के पुल का निर्माण किया जाता है। इस पर पक्का पुल बनाने के लिए कई बार प्रशासन व शासन को पत्र लिखा गया लेकिन किसी स्तर पर सुनवाई नहीं हुई। पहले गांव के लोग चंदा एकत्रित करके इसका निर्माण कराते थे। अब मैं व्यक्तिगत खर्चे से इसका निर्माण करता हूं।

-जेपी मिश्रा, प्रधानप्रतिनिधि, कोटमझरिया।


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