वृक्ष न रहे तो कौन करेगा कार्बन डाइ ऑक्साइड अवशोषित
जागरण संवाददाता, बलिया : वृक्ष हमारे जीवन के लिए बहुत उपयोगी हैं। जहां वृक्ष होते हैं वहां का प्राकृ
जागरण संवाददाता, बलिया : वृक्ष हमारे जीवन के लिए बहुत उपयोगी हैं। जहां वृक्ष होते हैं वहां का प्राकृतिक वातावरण अलग ही होता है। वृक्ष होने पर वातावरण शुद्ध होता है। यह हमारे द्वारा छोड़ी गई कार्बन डाइ ऑक्साइड गैस को ग्रहण करते हैं और ऑक्सीजन गैस छोड़ते हैं। सोचें, अगर वृक्ष न हों तो हमारे द्वारा छोड़ी गई कार्बन डाइ ऑक्साइड को कौन ग्रहण करेगा। पूरे वातावरण में जब कार्बन डाइ ऑक्साइड फैल जाएगी तो हमारे लिए सांस लेना मुश्किल हो जाएगा और हम जीवित भी नहीं रह पाएंगे। मानसून भी वृक्षों पर ही निर्भर करता है। जहां ज्यादा मात्रा में वृक्ष होते हैं वहां बरसात भी ज्यादा होती है और जहां कम मात्रा में वृक्ष होते हैं वहां बरसात भी कम होती है। दैनिक जागरण के जीवनदाता अभियान के तहत हर वर्ग के लोग पेड़-पौधों के संरक्षण का संकल्प ले रहे हैं। इसमें बच्चे, युवा, बुजुर्ग, महिलाओं संग अधिकारी संग जनप्रतिनिधियों ने भी सहभागिता की। बुधवार को नगर विधायक आनंद स्वरूप शुक्ल ने चंद्रशेखर उद्यान में पेड़ पर जीवनदाता रक्षासूत्र बांधा। वहीं बिल्थरारोड में विधायक धनंजय कनौजिया ने भी पेड़ पर रक्षा सूत्र बांधकर संरक्षण का संकल्प लिया। --वृक्षों के महत्व पर मत्स्य महापुराण में भी है कथा
वृक्षों के महत्त व को बताते हुए मत्स्य महापुराण में एक कथा है। जब शिव- पार्वती का विवाह हुआ था तब बहुत दिनों तक पार्वती जी को कोई संतान नहीं हुई। इस कारण माता पार्वती तरह-तरह के बच्चों के खिलौने बनाकर खेला करती थीं। पहले उन्होंने गजमुख की आकृति वाले बच्चे का निर्माण अपने शरीर के मैल से किया। फिर इसमें प्राण डालकर ब्रह्मा जी ने इसे गजानन या गणेश का नाम दिया। फिर वे वृक्ष के पत्तों को पीसकर उसका एक खिलौना बनाकर उससे खेलने लगीं तो ब्रह्म ऋषियों ने आकर कहा कि हे माता आप ये क्या कर रही हैं। आपको ताड़कासुर का वध करने के लिए बलशाली बच्चा उत्पन्न करना था और आप यहां खिलौने बनाकर खेल रही हैं। तब पार्वती जी ने उनसे कहा कि हे विप्रवरों, जिस प्रकार के जल रहित प्रदेश कैलाश में जो बुद्धिमान पुरुष कुआं बनवाता है, वह कुएं के जल की एक-एक बूंद के बराबर वर्षों तक निवास करता है। इस प्रकार दस कुएं के समान एक बावड़ी, दस बावड़ी के सदृश एक सरोवर, दस सरोवर की तुलना में एक पुत्र और दस पुत्रों की तुलना में एक वृक्ष माना गया है। यही लोकों का कल्याण करने वाली मर्यादा है, जिसे मैं निर्धारित कर रही हूं। इस प्रकार एक वृक्ष को दस पुत्रों के समान बताया गया है। इसलिए वृक्षों के महत्व को हर हाल में हर किसी को समझना होगा। जेपी की तमाम यादों को समेटे है 150 साल पुराना पेड़
संपूर्ण क्रांति के प्रणेता लोकनायक जयप्रकाश नारायण के गांव सिताबदियारा में खड़ा 150 वर्ष पुराना पीपल का पेड़ जेपी की उन तमाम यादों को समेट आज भी उसी अंदाज में खड़ा है। वर्ष 1974 में जेपी ने इसी वृक्ष के नाचे जाति मिटाओ जनेऊ तोड़ो आंदोलन शुरू किया था। तब लगभग 10 हजार लोगों ने अपना जनेऊ तोड़ यह संकल्प लिया था कि वे जाति प्रथा नहीं मानेंगे। यह वृक्ष आज भी गांव के लोगों के लिए बैठकी व चौपाल का स्थान है। इसी पेड़ की छांव में गांव की लगभग सभी पंचायतें होती हैं। अब इस स्थल को जेपी का क्रांति मैदान कहा जाता है।
--वर्जन--
धरातल पर उतारनी होगी पौधरोपण की मुहीम
पौधरोपण कार्य महान है। एक पेड़ दस पुत्र के समान के स्लोगन को धरातल पर शत प्रतिशत उतारने की दिशा में पौधरोपण व इसके संरक्षण के लिए आम लोगों को आगे आने की जरुरत है। मेरा यह संकल्प है कि पेड़-पौधों के प्रति अजीवन जागरूक रहूंगा और लोगों को भी जागरूक करूंगा।
जीतन पाण्डेय लगाएं जलवायु से मेल खाते पौधे
पौधरोपण पर्यावरण संरक्षण की दिशा में वरदान साबित होगा। स्थानीय स्तर पर जलवायु से मेल खाते आम, कटहल, जामुन इत्यादि फलदार पौधे लगाना चाहिए। मैं पहले से भी बागवानी से प्रेम करता रहा हूं। जागरण का यह प्रयास काफी सराहनीय है।
--दानिश उमर --पौधरोपण का संकल्प
जलवायु परिवर्तन के संकट से बचाव की दिशा में पौधरोपण काफी कारगर साबित होगा। मैं संकल्प लेता हूं कि लोगों के बीच भी पौधे वितरित करूंगा। पौधरोपण के प्रति हर किसी को आगे आना चाहिए।
--गोपाल गुप्त --हर इंसान को हो वृक्षों से प्रेम
हर इंसान को पौधों और वृक्षों से प्रेम होना चाहिए। इसके बिना हम जीवित भी नहीं रह सकते फिर भी यदि कोई इस बात की अनदेखी कर रहा है तो वह प्रकृति के साथ खुद के जीवन को भी समाप्त कर रहा है। पौधों के प्रति मैं सदैव संकल्पित हूं।
--मनोज यादव