आठवीं के बाद मूक-बधिर छात्रा कहां पढ़े, नहीं हो रहा प्रवेश
विनय सिंह सुखपुरा (बलिया) : केंद्र व प्रदेश सरकार बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ का नारा भले ही दे रही हैं
विनय सिंह
सुखपुरा (बलिया) : केंद्र व प्रदेश सरकार बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ का नारा भले ही दे रही हैं लेकिन जमीनी हकीकत ठीक इसके उलट है। समीपवर्ती ग्राम करमपुर की एक मूक-बधिर छात्रा पढ़ने को आतुर है लेकिन क्षेत्र का कोई विद्यालय उसका प्रवेश नहीं ले रहा है। अब तो इस वर्ष के शिक्षा सत्र का आधा समय भी बीत गया। विद्यालयों में छमाही परीक्षा शुरू है, लेकिन अभी तक उसका प्रवेश किसी विद्यालय ने नहीं लिया। ऐसे में वह छात्रा अब आगे की पढ़ाई कहां करे यह बताने से भी जिम्मेदार कतरा रहे हैं। वह छात्रा अब हताश होकर वह मजदूरी करने को विवश है।
करमपुर गांव की नेहा पुत्री राजकुमार जन्म से ही गूंगी-बहरी है। प्रारंभ में तो उसके मां-बाप उसे विद्यालय भेजने में असमर्थता जता रहे थे कि वह कैसे पढ़ पाएगी लेकिन प्राथमिक विद्यालय करमपुर नवीन के प्रधानाध्यापक उमेश कुमार सिंह के प्रयास के बल पर नेहा धीरे-धीरे विद्यालय में आने लगी और तब बच्चों के देखा-देखी उसमें पढ़ने की ललक जगी, फिर वह पढ़ने लगी। इसी विद्यालय से उसने कक्षा 5 उत्तीर्ण किया फिर उसका प्रवेश मिड्ढा गांव में स्थित मूक बधिर विद्यालय में हुआ। जहां से इसी वर्ष उसने कक्षा 8 की परीक्षा उत्तीर्ण की है। वह कक्षा 9 में प्रवेश लेने के लिए अपने पिता के साथ क्षेत्र के प्राय: सभी विद्यालयों का चक्कर काट चुकी है और आज भी काट रही है। लेकिन उसका प्रवेश किसी विद्यालय में नहीं हुआ। अध्ययनरत बच्चों को निहारती एक टक
बेहद तंगहाली व गरीबी में अपना वक्त गुजार रही नेहा के पढ़ने की ललक उसके दिल में इस कदर समाई हुई है कि वह घर के कामों से फुर्सत पाते ही अपने पुराने स्कूल प्राथमिक विद्यालय करमपुर नवीन पर पहुंच जाती है और अध्ययनरत बच्चों को एक टक निहारती रहती है। इशारों में विद्यालय के बच्चों को पढ़ने में मदद भी करती है। आज नेहा थक हार कर घर बैठ चुकी है। जनपद बलिया में इस तरह के बच्चों की ऊंची शिक्षा के लिए कोई विद्यालय नहीं है। सामान्य विद्यालयों में इस तरह के बच्चों के पठन-पाठन की कोई सुविधा नहीं है। ---वर्जन-----
संबंधित बच्ची के परिजनों ने मुझसे प्रवेश संबंधी मामले में कोई बात नहीं की है। ऐसा नहीं है, बिटिया को हाल में प्रवेश दिलाया जाएगा, लेकिन अभी के समय में दिक्कत यह है कि कक्षा नौ का रजिस्ट्रेशन हो चुका है। उसका प्रवेश होता भी है तो वह कक्षा नौ में रजिस्ट्रेशन से वंचित हो जाएगी। यह सुनकर अफसोस हो रहा है, उसका प्रवेश अब तक हो चुका होता। उसे पढ़ाने के लिए भी विशेष शिक्षक होते हैं। वह बच्ची जब आठवीं तक पढ़ी है तो प्रवेश में कोई समस्या नहीं है। ऐसे में उसे या उसके परिजनों को निराश होने की जरूरत नहीं है।
भाष्कर मिश्र, डीआइओएस