भगवान न करें यहां मिले संक्रमित, कुछ भी नहीं सरकारी इंतजाम
जागरण संवाददाता, बलिया : कारोना वायरस के भय से जनपद के हर गांव के लोग भयभीत हैं। किसी भी की तबियत खर
जागरण संवाददाता, बलिया : कारोना वायरस के भय से जनपद के हर गांव के लोग भयभीत हैं। किसी भी की तबियत खराब होने के बाद पूरा परिवार चिता में डूब जा रहा है। जब वे सीएचसी या पीएचसी केंद्रों पर पहुंच रहे हैं तो वहां की विभिन्न रोगों से पीड़ित मरीजों की भीड़ देख सभी सहम जा रहे हैं। इस भीड़ में न तो मरीज मास्क पहने दिख रहे हैं और न ही चिकित्सक। सरकारी इंतजाम के नाम पर कहीं भी विशेष इंतजाम नहीं दिख रहे हैं। सभी अस्पताल उसी तरह चल रहे हैं जैसे आम दिनों में चलते हैं। कुछ स्थानों पर जागरूकता से जुड़ा बचाव के ज्ञान वाला पोस्टर लगा दिया है, इसलिए कि लोग अपनी सुरक्षा खुद कर सकें। जिला अस्पताल या जिला महिला अस्पताल तक लापरवाही बेहिसाब है। जिला अस्पताल और जिला महिला अस्पताल में अब चिकित्सक मास्क पहनने लगे हैं, लेकिन कर्मचारियों की फौज को यह सुविधा भी मुहैया नहीं कराया गया है। सभी लोग तत्परता से खुद का बचाव कर रहे हैं।
कोरोना वायरस की शोर सुन कर नगर के लोग अपने आसपास की सफाई को लेकर बेचैन हैं लेकिन नगरपालिका अभी भी नींद में ही है। गंदगी सं बजबजाते नालों से लेकर सड़क के किनारे या बीच सड़कों पर कहीं कोई छिड़काव नजर नहीं आ रहा है। मोहल्लों की गलियां तो दूर से ही रोगों की जन्मदाता के तौर पर दिख रही हैं। गंदगी के चलते मच्छरों का प्रकोप भी इतना बढ़ गया है कि लोग रात ही नहीं, दिन में भी परेशान हैं। ग्रामीण क्षेत्रों की दशा भी कुछ ऐसी ही है। ग्राम पंचायत या नगर पंचायतों की ओर से साफ-सफाई के रिजल्ट कहीं भी बेहतर नहीं दिख रहे हैं।
सर्वजनिक शौचालय भी संक्रामण के घर
अभी के समय में देश के हर जनपद में लोग गंदगी के मामले में किसी भी तरह का जोखिम नहीं उठाना चाहता, लेकिन जिम्मेदारों की लापरवाही से बस स्टेशन, रेलवे स्टेशन, नगरपालिका आदि के सर्वजनिक शौचालय संक्रामण के घर के रूप में ही दिख रहे हैं। उसके संचालक लोगों से निर्धारित शुल्क से ज्यादा की वसूली करने के बाद भी साफ-सफाई के जरूरी इंतजाम नहीं किए है। स्टेशन परिसर के कई यात्रियों ने बताया कि शौचालयों के संचालक यात्रियों के कहने के बाद भी, इस दिशा में कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं।
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होम क्वारंटाइन ही घर-घर का विकल्प
अभी के समय में होम क्वारंटाइन ही धर-घर का विकल्प है। ऐसा तरीका अपनाकर हर कोई अपने पूरे परिवार को इस वायरस से सुरक्षित रख सकता है। होम क्वारंटाइन का मतलब यह कि घर पर अपने आप को दूसरे लोगों से अलग कर लेना। अगर आपको कोरोना वायरस से संक्रमित होने का संदेह है या फिर आप सर्दी-जुकाम से पीड़ति रह रहे हैं तो आप एक कमरे में अपने आप को अलग कर लें। इससे आपके परिवार में किसी को यह वायरस नहीं फैलेगा। इस संबंध में जिला अस्पताल के चिकित्सक बताते हैं कि इसका मूल अर्थ चालीस दिन का समय है। इसका मतलब संगरोध, संगरोधन, किनारे पर आने-जाने से रोकना और अस्पताल का अलग कमरा भी है। यदि किसी व्यक्ति में लक्षण नजर आए तो 14 दिनों तक सभी नजदीकी संपर्क बंद कर देना ही बुद्धिमानी है। संक्रमित के कमरे के फर्श और हर चीज को एक फीसदी सोडियम हाइपोक्लोराइट सोल्यूशन से साफ करना भी आवश्यक है। टॉयलेट को भी रोज साफ करना जरूरी है। जबकि एक हवादार कमरा टॉयलेट हो। कमरे में अन्य परिजन हों तो दोनों में एक मीटर का फासला हो। संदिग्ध मरीज किसी भी समारोह, शादी, पार्टी में 14 दिन या जब तक स्वस्थ न हो जाएं तब तक हिस्सा न ले, इस बात का ध्यान रखना भी बहुत जरूरी है। हाथ धोने के लिए साबुन या अल्कोहल बेस्ड हैंड सैनेटाइजर का इस्तेमाल करें। घर में खुद से पानी, बर्तन, तौलिए और अन्य किसी चीज को न छुए। र्सिजकल मास्क लगाकर रहें। हर 6-8 घंटे में मास्क बदलें।
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वर्जन
कोराना वायरस को लेकर सर्तकता बढ़ा दी गई है। पिछले दिनों होली में बाहर से 30 लोग अपने घर आए थे, उनका घर जाकर स्वास्थ्य परीक्षण किया गया। सभी लोग स्वस्थ्य पाए गए। अभी भी बाहर रहने वाले लोग जब जनपद में अपने घर आ रहे हैं तो उन पर निगरानी रखी जा रही है। इस समय यात्रा या ज्यादा लोगों के सम्पर्क में आने से सभी को परहेज करना चाहिए। सैनिटाइजर का प्रयोग करना चाहिए। कोरोना वायरस से बचाव ही सबसे बड़ा उपचार है।
डॉ. जियाउल हुदा, प्रभारी, जिला महामारी रोग
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गांवों में बचाव की कोई तैयारी नहीं
जासं, बैरिया (बलिया): अगर ग्रामीण क्षेत्र में फैला कोरोना तो मुश्किल होगा रोक पाना क्योंकि स्वास्थ्य विभाग द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में जुबानी जमा खर्च के अलावा धरातल पर कोई भी ऐसी तैयारी नहीं दिख रही है, जिससे कोरोना को कंट्रोल किया जा सके। न ही इस संदर्भ में लोगों को जानकारी देकर जागरूकता पैदा की जा रही है, न ही अस्पतालों में कई व्यवस्था की गई है। सीएचसी सोनबरसा हो या जयप्रकाश नगर अथवा श्रीनगर या आधा दर्जन से अधिक प्राथमिक व नवीन प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, हर जगह गंदगी का अंबार है। अस्पताल के खाट पर गंदे गद्दे व चादर, मच्छरों की भनभनाहट व गंदगी का अंबार है। ऐसे में कोरोना को कैसे रोका जाएगा, जब कोई तैयारी ही नहीं है। कहीं भी न तो इसके लिए कोई व्यवस्था दी गई है, न ही उपलब्ध चिकित्साकर्मी ही इसके लिए मानसिक रूप से तैयार है। ऊपर बैठे अधिकारी केवल जुबानी जमा खर्च कर रहे हैं।
इस बाबत पूछने पर उप मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. नवीन कुमार सिंह ने बताया कि जो भी संसाधान उपलब्ध है, उसमें बेहतर सेवा उपलब्ध कराने के लिए हम लोग तैयार हैं। ऐसे ग्रामीण क्षेत्रों में अभी तक कोई कोरोना संक्रमित व्यक्ति नहीं पाया गया है।