भूख से तड़प रहे बछड़ों पर ग्रामीणों को आई दया, छोड़ा
पशु आश्रय केंद्र में भूख से तड़प रहे थे बछड़े ग्रामीणों ने छोड़ापशु आश्रय केंद्र में भूख से तड़प रहे थे बछड़े ग्रामीणों ने छोड़ापशु आश्रय केंद्र में भूख से तड़प रहे थे बछड़े।
जागरण संवाददाता, सिकंदरपुर( बलिया): सरकार द्वारा चलाई जा रही अति महत्वाकांक्षी योजना पशु आश्रय गो-सेवा केंद्र कर्मचारियों की लापरवाही से अनियमितताओं की भेंट चढ़ गई है। नवानगर ब्लॉक के रूद्रवार गांव में अस्थाई तौर पर संचालित गो-सेवा केंद्र पर भूख से परेशान तीन दर्जन से अधिक पशुओं को खोलकर बाहर खदेड़ दिया गया। ग्राम प्रधान द्वारा रखा गया कर्मी भी आश्रय केंद्र की चाभी वहां रखकर गायब हो गया। इसको लेकर स्थानीय लोगो में आक्रोश है। वहीं जिम्मेदार अधिकारियों कर्मचारियों को इसकी कोई परवाह नहीं है। रूद्रवार गांवसभा में अस्थाई तौर पर चल रहे गो-सेवा आश्रय केंद्र पर विगत एक हफ्ते से चारा नहीं होने से वहां के पशु बेसुध हो गए थे और चिल्ला रहे थे। ग्राम प्रधान द्वारा यह संचालित किया जा रहा है। ग्रामीणों ने जब बछड़ों के चिल्लाने की आवाज सुनी तो वहां पहुंचे और भूख से परेशान देख तीन दर्जन से अधिक बछड़ों को खोलकर छोड़ दिया। यह बछड़े अब किसानों के खेत में नुकसान करने में लगे हुए है। स्थानीय लोगों के अनुसार, जिस कर्मचारी को प्रधान ने इन बछड़ों को खिलाने के लिए रखा था, वह दो दिन पहले ही भूसा व मानदेय न मिलने पर चाभी फेंककर भाग गया था। जांच के बाद गड़बड़ी मिली तो होगी कार्रवाई: बीडीओ बीडीओ पीएन त्रिपाठी ने कहा कि इस गो-आश्रय केंद्र की जिम्मेदारी ग्राम प्रधान की थी। अगर ऐसी शिकायत है इसकी जांच होगी और जो भी दोषी मिलेगा उस पर कार्रवाई होगी। बता दें कि सरकार द्वारा पशु आश्रय केंद्र के संचालन हेतु प्रतिदिन तीस रूपए प्रति पशु के हिसाब से इन बछड़ों को खिलाने व देखभाल के लिए सरकार द्वारा दिया जाता है। अगर 40 बछड़ों के हिसाब से जोड़ा जाए तो 12 सौ रुपये प्रतिदिन सरकार द्वारा दिया जाता था। बावजूद इसके इन बछड़ों को चारा नहीं देने पर लोगों मे आक्रोश व्याप्त है।