फोम के डिब्बों में छत पर करते हैं सब्जी की खेती
इंसान में कुछ कर गुजरने का जज्बा व इच्छाशक्ति ²ढ़ हो तो वह कुछ भी कर सकता है। हमें ऐसे ही एक ²ढ़ इच्छा शक्ति वाले युवक मिलते है प्रभाकर पांडेय, जो जमीन पर नहीं छत पर सब्जी की खेती भी सिस्टम से करते हैं। यह बात सुनकर सभी पहली बार में यकीन ही नहीं करते। लेकिन पूरा सिस्टम समझने के बाद वे इसकी चर्चा हर जगह करने लगते हैं। पेशे से शिक्षक हैं एवं समीप के गांव खरहाटार में एक विद्यालय का संचालन भी करते हैं। वे पठन-पाठन व विद्यालय से फुर्सत मिलते ही घर व मोहल्लों के कबाड़ से अपने विद्यालय के छत को ही सब्जी उगाने का एक बड़ा प्लेटफार्म बना दिए हैं। वह भी बिना किसी रासायनिक खाद व कीटनाशक के।
जागरण संवाददाता, सुखपुरा(बलिया) : इंसान में कुछ कर गुजरने का जज्बा व इच्छाशक्ति दृढ़ हो तो वह कुछ भी कर सकता है। हमें ऐसे ही एक दृढ़ इच्छा शक्ति वाले युवक मिलते हैं प्रभाकर पांडेय, जो जमीन पर नहीं छत पर सब्जी की खेती भी सिस्टम से करते हैं। यह बात सुनकर सभी पहली बार में यकीन ही नहीं करते। लेकिन पूरा सिस्टम समझने के बाद वे इसकी चर्चा हर जगह करने लगते हैं। पेशे से शिक्षक हैं एवं समीप के गांव खरहाटार में एक विद्यालय का संचालन भी करते हैं। वे पठन-पाठन व विद्यालय से फुर्सत मिलते ही घर व मोहल्लों के कबाड़ से अपने विद्यालय के छत को ही सब्जी उगाने का एक बड़ा प्लेटफार्म बना दिए हैं। वह भी बिना किसी रासायनिक खाद व कीटनाशक के।
उनके मन में एक वर्ष पहले ख्याल आया कि घर में कबाड़ और सब्जियों के छिलकों का प्रयोग कर क्या कोई बेहतर कार्य किया जा सकता है। तब उन्होंने इन सब चीजों से अपने छत पर हरी सब्जियां उगाने का संकल्प लिया। फिर क्या था घर में टूटे-फूटे बर्तन व डब्बों को इकट्ठा किया उसमें मिट्टी भरा और सब्जियों के छिलके को पानी में डालकर उसका खाद बनाया, उसे मिट्टी में मिश्रित किया। उसके बाद तरह-तरह के सब्जियों के पौधों का रोपण कर दिया। अब वे पौधे बड़े हुए और फल भी देने लगे। इस खेती को देखने वाले को कुछ अजीब जरूर लगता है, लेकिन इस नए प्रयोग को देखने वाले लोग भी अपने छतों का प्रयोग इस तरह से करने पर विचार करने लगे हैं। विद्यालय के छत पर छोटे-छोटे पौधों में भी दर्जनों फल इस प्रकार लग गए हैं। मानों पौधे टूट कर गिर जाएंगे। खास यह भी कि इन सब्जियों में जो स्वाद हैं वह बाजार की सब्जियों में कतई नहीं मिलती।
डिब्बा कम पड़ा तो फोम के कैरेट किया प्रयोग
छत पर सब्जी की खेती में डिब्बे कम पड़े तो वे मछली वाले फोम के कैरेट का प्रयोग करने लगे। मछली बेचने वाले जो फोम के कैरेट का इस्तेमाल कर फेंक देते हैं, उसे वे इकट्ठा कर, उसमें मिट्टी डालकर सब्जियों की खेती का विस्तार करना शुरू कर दिए हैं। उनके द्वारा बींस, टमाटर, बैंगन, लौकी, करेला, मटर, मूली, लहसुन, धनिया, सहित कुछ फूल के पौधे भी लगाए गए है। उन्हें अब बाजार से सब्जियां खरीदनी नहीं पड़ती। यही नहीं विद्यालय के रसोई घर में भी उन्हीं सब्जियों का प्रयोग किया जाता है।
-अलग पैर्टन से करते हैं ¨सचाई
सब्जियों फलों के छिलकों को पानी में भिगोकर एक सप्ताह तक रखते हैं फिर जब छिलके सड़ जाते हैं तो उसे छानकर पानी निकाल लेते हैं और पानी को बोतलों में भर लेते हैं। एक बोतल सड़े छिलके के पानी में 10 बोतल सादा पानी मिलाकर पौधों में डालते हैं। उनकी पत्तियों पर भी छिड़काव करते हैं और सड़े छिलके को भी पौधों की जड़ों में मिट्टी में मिला कर डाल देते हैं। इससे पौधों का बढ़ाव और फल देने की क्षमता तो बढ़ती ही है पौधों पर कीड़े भी नहीं लगते। ----वर्जन-----
इस प्रयोग के विषय में मैं कई माह से सोच रहा था। अब मुझे राह मिल गई है। मेरा मानना है कि गांवों में घर के बड़े छतों पर इस तरह सब्जी की खेती कर घर के लिए विभिन्न प्रकार की सब्जी का अच्छा उत्पादन किया जा सकता है। इससे पैसे की भी बचत होगी और विभिन्न प्रकार की सब्जी भी सदैव मिलती रहेगी।