बीस लाख तक के सालाना कारोबारी जीएसटी के रजिस्ट्रेशन सीमा से बाहर
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जागरण संवाददाता, बलिया : आयकर रिटर्न व जीएसटी को लेकर जहां एक तरफ सरकार नियमों को सरल बनाती जा रही है। जीएसटी रिफंड का सरलीकरण किया जा रहा है। जीएसटीआर-3 बी, जीएसआरटी-1 को समाप्त कर अपेक्षाकृत आसान रिर्टन फार्म अप्रैल-2020 से लाए जाने की सम्भावना है। बीस लाख तक के सालाना कारोबारी जीएसटी के रजिस्ट्रेशन सीमा से बाहर हैं। यह बात सीए बलजीत सिंह ने रविवार को दैनिक जागरण के प्रश्न पहर कार्यक्रम में पाठकों के सवालों का जवाब देते हुए कही।
सीए बलजीत ने बताया कि छोटे व मध्यम व्यापारियों को मासिक पांच करोड़ तक के टर्नओवर को मासिक रिटर्न के स्थान पर त्रैमासिक रिटर्न का प्रावधान किया जा रहा है। इससे व्यापारियों को सुविधा होगी। त्रैमासिक रिटर्न को और आसान बनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि अब वार्षिक रिटर्न प्रावधान लागू किया जा रहा है। कम्पोजिशन स्कीम की सीमा एक करोड़ से बढ़ाकर 1.50 करोड़ कर दी गई है। चालीस लाख तक के सालाना कारोबार वाले व्यापारियों को जीएसटी के रजिस्ट्रेशन की सीमा से बाहर रखा गया है। जीएसटी में रजिस्टर्ड 60 वर्ष के ऊपर के व्यापारियों के लिए पेंशन योजना की शुरूआत की जा रही है। इसमें ऐसे व्यापार शामिल होंगे जिनका सालाना कारोबार 1.5 करोड़ से कम है। आयकर प्रावधानों के संबंध में कहा कि कर निर्धारण वर्ष 2020-21 से पांच लाख तक की कर योग्य आय वाले करदाताओं को कोई आयकर नहीं देना होगा। इससे छोटे करदाताओं को राहत मिलेगी।
प्रस्तुत है सवाल-जवाब के मुख्य अंश-:
प्रश्न : किराने की दुकान है। दस लाख का सालाना टर्नओवर है क्या जीएसटी रजिस्ट्रेशन जरूरी है।
उत्तर : यदि सालाना टर्नओवर 20 लाख से कम है तो जीएसटी रजिस्ट्रेशन की आवश्यकता नहीं है।
प्रश्न : समाधान योजना में रिटर्न कब तक भर सकतें हैं ।
उत्तर : योजनांतर्गत तिमाही कर अदा करना है जबकि रिटर्न वार्षिक रूप में जमा कर सकते हैं।
प्रश्न : आयकर रिटर्न फाइल करना कब जरूरी है।
उत्तर : यदि व्यक्ति की सालाना आयकर योग्य आय 2.50 लाख से ज्यादा है तो वार्षिक आय का रिटर्न अगले वर्ष 31 जुलाई तक जमा करना जरूरी है।
प्रश्न : सालाना टर्नओवर 50 लाख तक का है कोई खाता मेंटेन नहीं है उस स्थिति में आयकर जमा करने का क्या प्रावधान है।
उत्तर: ऐसी स्थिति में आप अपने टर्नओवर का 8 प्रतिशत की दर से लाभ आयकर रिटर्न की श्रेणी 44 ए डी के तहत आयकर विवरणी का लाभ ले सकते है। ऐसा करने पर आपको खाता मेंटेन करने की भी जरूरत नहीं होगी। प्रश्न : मेरा टर्नओवर डेढ़ करोड़ का सालाना है। क्या मुझे टैक्स आडिट कराना होगा।
उत्तर : ऐसी दशा में दो विकल्प हैं। श्रेणी 44 ए डी के तहत किसी सीए से मिलकर करा लें या टर्नओवर का आठ प्रतिशत प्रॉफिट घोषित कर दें। प्रश्न : बैंक में एफडी कराई है। टीडीएस कट गया है कैसे वापस मिलेगा।
उत्तर: यदि निवेश करते समय संबंधित संस्थान को पैन उपलब्ध कराया गया होगा और यदि आपकी वार्षिक आय आयकर निर्धारण सीमा से कम होगी तो उस दशा में आपके द्वार रिटर्न फाइल करके टीडीएस रिफंड पाया जा सकता है। प्रश्न: शहरी इलाके में पैतृक संपत्ति है क्या उसे बेचने पर भी टैक्स देना होगा।
उत्तर: जी हां, यह संपत्ति बिक्रीकर योग्य है। आयकर प्रावधानों के अनुसार इस तरह की संपत्ति की खरीद फरोख्त पूंजीगत लाभ के अंतर्गत आती है। ऐसे में जिस समय उक्त संपत्ति प्रार्थी को हस्तांतरित हुई होगी वह उसका क्रय वर्ष माना जायेगा। उसी वर्ष के सर्किल रेट के डिडक्शन के आधार पर वर्तमान संपत्ति का मूल्य निकाला जाता है। उसके आधार पर ही वर्तमान संपत्ति का मूल्य निकाला जायेगा। इसके बाद बिक्री मूल्य घटाने के बाद बचे हुए मूल्य पर आयकर देना होता है। हालांकि सेक्शन 54 के अंतर्गत कुछ निवेशों पर कुछ छूट भी मिली हुई है। प्रश्न : पैन व आधार लिक नहीं हो रहा है।
उत्तर : आयकर द्वारा घोषित डेडलाइन के अनुसार दोनों का लिक होना जरूरी है। यदि लिक नहीं हो पा रहा है तो इसका कारण दोनों प्रपत्रों में दर्ज विवरण में असमानता हो सकती है। जांच कर सुधार करवा लें। इसके बाद आसानी से हो जाएगा। प्रश्न : अपने पुत्र को एक लाख रुपये उपहार स्वरूप देना चाहता हूं, क्या इस पर भी टेक्स देना होगा।
उत्तर : जी नहीं, यदि पिता अपनी बचत में से कोई राशि अपने पुत्र को उपहार स्वरूप देता है तो उसे कोई कर नहीं देना होगा। बशर्ते वह धनराशि किसी इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से अथवा चेक द्वारा दी जानी चाहिए। अन्यथा की स्थिति में उक्त धनराशि कर मुक्त नहीं हो पाएगी। इन्होंने पूछे प्रश्न
अभिषेक कुमार लालगंज, राज नारायण गुप्ता हनुमानगंज, सुनील कुमार आर्यसमाज रोड, अनिल वर्मा ओकड़ेनगंज, हर्ष श्रीवास्तव कासीमबाजार, सोनू जायसवाल नगवा, कार्तिकेय यादव सतनी सराय, अजय तिवारी, संजय राय मुबारकपुर, हैप्पी सिंह आनन्दनगर, सौरभ अग्रवाल जापलिगंज, विनय तिवारी जीराबस्ती, श्रीकांत तिवारी सहतवार, विपुल पाण्डेय मिश्र नेवरी।