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इस बार दीपावली पर कम होगा पटाखों का शोर

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By JagranEdited By: Published: Thu, 01 Nov 2018 09:51 PM (IST)Updated: Thu, 01 Nov 2018 09:51 PM (IST)
इस बार दीपावली पर कम होगा पटाखों का शोर
इस बार दीपावली पर कम होगा पटाखों का शोर

जागरण संवाददाता, बिल्थरारोड (बलिया) : दीपावली में इस बार पटाखों का शोर काफी हद तक कम होगा व दीपोत्सव का असली उजियारा झिलमिलाएगा। जी हां, सुप्रीम कोर्ट द्वारा पटाखों के जलाने लिए निर्धारित नए दिशा निर्देश के बाद महिलाओं से लेकर युवाओं तक में कुछ ऐसी ही उम्मीद है। पटाखों के शोर व उससे होने वाले धुएं से बढ़ते प्रदूषण व दुर्घटनाओं की आशंका से घरों में दुबकी महिलाएं भी इस बार दीपोत्सव को पूरे उत्साह व उमंग के साथ मनाने की तैयारी में है। वहीं बच्चों की सुरक्षा को लेकर भी इस बार महिलाओं व अभिभावकों में काफी हद तक नि¨श्चतता का भाव है। हालांकि हर कोई एक ही बात को लेकर आशंकित है कि उच्चतम न्यायालय के उक्त निर्देश का सख्ती से अनुपालन हो सके ताकि शाम आठ बजे से दस बजे तक ही पटाखों को निश्चित स्थान पर ही जलाया जाए और रात दस बजे के बाद रात के सन्नाटे में पटाखों के शोर का खौफ न हो। वहीं इस बार दीपावली पूरी तरह से प्रदूषणमुक्त मनाया जा सके। ----------वर्जन----------

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पटाखों के शोर से मुक्ति मिलना यानि मरीज बनने की आशंका को काफी हद तक कम करने के बराबर है। ध्वनि व वायु प्रदूषण को तेजी से बढ़ावा देने वाले पटाखों के आवाज व जहरीले धुएं मानव जीवन समेत हर जीव के लिए काफी नुकसानदायक है। इससे बचाव जरूरी था, सुप्रीम कोर्ट के निर्देश से काफी हद तक इस बार राहत मिलना तय है।

-राहुल राजभर ।

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सुप्रीम कोर्ट के नए गाइड लाइन का सख्ती से अनुपालन जरूरी है, तभी इससे होने वाले दुष्प्रभाव से छुटकारा मिल सकेगा। प्रदूषण को सही रखना है तो आम जनता को भी इसके प्रति जागरूक होना पड़ेगा।

-पंकज यादव।

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पटाखों के जलाने के समय निर्धारण से महिलाओं को काफी राहत मिलेगी। दीपावली की सुबह से देर रात तक पटाखों के शोर व आतिशबाजी से दुर्घटना की आशंका से अधिकांश महिलाएं खुलकर दीपोत्सव में शामिल नहीं हो पाती थीं ¨कतु इस बार वे भी खुलकर दीपावली मनाएंगी।

-सीता देवी।

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-दीपों की जगमगाहट के बीच लक्ष्मी व कुबेर के पूजनोत्सव का पर्व दीपावली पर अब तक महिलाएं ही काफी हद तक भयाक्रांत रहा करती थीं ¨कतु अब सुप्रीम कोर्ट के नए गाइड लाइन के बाद अप्रत्याशित तौर पर महिलाओं को भी अपने बच्चों के साथ बिना भय के दीपावली मनाने का अधिकार मिला है। जिससे वे काफी खुश हैं।

-वात्सल्य गुप्त।


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