दउरा रखने की भी नहीं जगह, छूट रहे पुश्तैनी घाट
फोटो------दउरा रखने की भी नहीं जगह छूट रहे पुश्?तैनी घाटफोटो------दउरा रखने की भी नहीं जगह छूट रहे पुश्?तैनी घाट
बलिया : जिले में बाढ़, बरसात के चलते ऐसा पहली बार होगा जब जिले के असंख्य छठ व्रतधारी जलजमाव व कीचड़ के चलते अपने पुश्तैनी छठ घाट पर नहीं जा सकेंगे। उन्हें किसी अन्य विकल्प की तलाश करनी होगी। इस वजह से लाखों की संख्या में व्रतधारी परेशान है। उनके मन के मुताबिक छठ घाट भी नहीं सज पा रहे हैं। ऐसे इलाकों के व्रतधारी बता रहें हैं ऐसा पहली बार हो रहा है, जब लाखों व्रतधारी अपने पुश्तैनी छठ घाट के बजाय कहीं और छठ व्रत करने को विवश हैं। जिले के अंतिम छोर पर स्थित जयप्रकाशनगर से छठ घाटों की एक पड़ताल करें तो यहां रेगुलेटर घाट, भागड़ घाट, टीपूरी, अठगांवा, टोला रिसालराय, दूबेछपरा, केहरपुर आदि स्थानों पर अभी भी कीचड़युक्त घाट है या जल जमाव है। ऐसे में वहां दउरा रखने तक की भी जगह नहीं है। जनपद से बाहर रहने वाले लाखों की संख्या में लोग छठ पर्व को करने के लिए अपने घर पर आए हैं, लेकिन यहां नदी घाटों की तस्वीर देख उनके माथे पर चिता की लकीरें हैं। वह छठ किस घाट पर करें इस बात पर मंथन हर जगह हो रहा है।
अभाव में घर के छत भी बन रहे विकल्प
छठ घाटों की बदहाली के चलते ग्रामीण इलाकों में भी शहर की तरह घर के छत पर छठ पर्व करने की विवशता है। इसके अलावा कई गांवों के लोग किसी नए घाट को तैयार कर रहे हैं, लेकिन उन्हें पुश्तैनी छठ घाट नहीं जाने का मलाल जरूर है। बैरिया तहसील के दलजीत टोला निवासी सत्येंद्र सिंह, उमेश सिंह, बबुआ सिंह, संटू सिंह आदि सहित दर्जनों लोग मिले जिन्होंने बताया कि वे दूसरे राज्य में रहकर नौकरी करते हैं। छठ में हर साल घर इसीलिए आते हैं कि गांव पर सभी के साथ मिलकर छठ करेंगे, लेकिन इस साल छठ घाटों की स्थिति ठीक नहीं है। इसलिए अभी तक हम विकल्प ही तलाश रहे हैं।
इसी तरह नदी के तट पर बसे गांवों के लोग भी परेशान हैं। उनका कहना है कि नदी तट पर ही छठ घाट तैयार किए जा रहे हैं लेकिन नदी घाटों पर भी नहाने लायक कोई स्थान नहीं है।