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फांसी की सजा निश्चित होने पर निर्भया के गांव वालों को मिला सुकून

निर्भया के गांव में मंगलवार को सुबह से ही लोग टीवी और मोबाइल पर पटियाला हाउस कोर्ट के फैसले से संबंधित समाचार पर अपनी नजरें गड़ाए हुए थे। गांव में महिलाएं हो या युवतियां सभी को उस घड़ी का इंतजार था कि कोर्ट से कब निर्भया के दोषियों को फांसी पर लटकाए जाने की घोषणा की उन्हें सूचना मिले। कोर्ट के बहस से लेकर अंतिम फैसला आने तक लोग पल-पल की सूचना लेते रहे। निर्भया की मां से भी कई लोगों ने बात करने का प्रयास किया लेकिन वह पटियाला हाउस कोर्ट में होने की वजह से किसी निर्भया की मां ने किसी का भी काल रिसीव नहीं कर पा रहीं थी।

By JagranEdited By: Published: Tue, 07 Jan 2020 07:08 PM (IST)Updated: Tue, 07 Jan 2020 07:08 PM (IST)
फांसी की सजा निश्चित होने पर निर्भया के गांव वालों को मिला सुकून
फांसी की सजा निश्चित होने पर निर्भया के गांव वालों को मिला सुकून

जागरण संवाददाता, बलिया : निर्भया के गांव में मंगलवार को सुबह से ही लोग टीवी और मोबाइल पर पटियाला हाउस कोर्ट के फैसले का इंतजार करते रहे थे। पूरा गांव मामले से संबंधित समाचार पर अपनी नजरें गड़ाए हुए था। गांव की महिलाएं हों या युवतियां सभी को उस घड़ी का इंतजार था जब कोर्ट निर्भया के दोषियों को फांसी पर लटकाए जाने की तिथि की घोषणा करें। कोर्ट के बहस से लेकर अंतिम फैसला आने तक लोग पल-पल की सूचना लेते रहे।

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निर्भया की मां से भी कई लोगों ने बात करने का प्रयास किया लेकिन वह पटियाला हाउस कोर्ट में ही सुबह से जमी रहीं, इसलिए किसी का भी काल रिसीव नहीं कर पा रहीं थी। दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने जब चारों दोषियों का डेथ वॉरंट जारी किया तो इस खबर को सुनकर गांव के सभी लोगों को काफी सुकून मिला। इस बहुचर्चित काण्ड के चारों दोषियों अक्षय, मुकेश, विनय और पवन को 22 जनवरी की सुबह 7 बजे फांसी पर लटकाया जाएगा। गांव की युवतियों ने कहा कि देर से ही सही, फैसला उचित व सही आया। यदि कोर्ट से दोषियों को राहत मिलती तो गांव के लोगों को कानून पर से भरोसा ही उठ जाता। अब सभी दोषियों को फांसी होगी, इस निर्णय को सुनकर ही गांव के लोग काफी खुश हैं।

यह सही है कि निर्भया के गांव ही नहीं, पूरे जनपद के लिए वह काला दिन 16 दिसम्बर 2012 था, जब निर्भया के साथ दिल्ली में गैंगरेप की दर्दनाक घटना घटी थी। घटना के बाद लगभग 15 दिनों तक जिदगी और मौत से जूझती निर्भया सिगापुर के एक अस्पताल में इस लोक से सदैव के लिए विदा हो गई थी। तब सभी की मांग पर महिला सुरक्षा से संबंधित कई कानून को अमलीजामा पहनाया गया। इस भयानक व घिनौने अपराध ने देश की सभी बेटियों सहित आम अभिभावकों को झकझोर दिया था। निर्भया के गांव की बेटियों को कराटे का प्रशिक्षण देते हुए यह भरोसा दिलाया गया था कि उनके गांव की बेटी के साथ उचित न्याय होगा। दोषियों को हर हाल में फांसी होगी। गांव में सरकार की ओर से कई तरह की सुविधाएं देने की बात भी तब के समय में कही गई थी। उसी समय से गांव और जनपद के लोगों को इस क्षण का इंतजार था। मंगलवार को सभी की वह मुराद पूरी हो गई।

निर्भया की मां ने किया न्याय

के लिए लंबा संघर्ष

गांव में निर्भया के बाबा ने कहा कि उसकी मां ने न्याय के लिए लंबा संघर्ष किया। देश में ऐसी व्यवस्था नहीं होनी चाहिए। इस तरह के केस में त्वरित न्याय की व्यवस्था होनी चाहिए। वह सरकार से लेकर कोर्ट तक दौड़ कर थक गई थीं। अब जब कोर्ट ने फांसी की तारीख निश्चित कर दी है तो घर के सभी लोगों को सुकून मिला है। इस तरह के फैसले से समाज में अपराधियों के अंदर डर का संदेश जाएगा।


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