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चुनावी लाभ की मंशा या कुछ अच्छे की ओर सरकार

मोदी सरकार अंतरिम बजट एक फरवरी को पेश करेगी। जिसका इंतजार भी हर वर्ग के लोगों को है। इस बजट में आमतौर पर नई सरकार बनने तक चार महीने के लिए प्रशासनिक कार्यो और विकासपरक परियोजनाओं पर खर्च के लिए अंतरिम बजट संसद में पेश करने की परंपरा रही है। 1999 से पहले यह बजट शाम पांच बजे पेश किया जाता था। वर्ष 1999 में पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा के समय ये परंपरा बदली और यह बजट 11 बजे पेश होने लगा।

By JagranEdited By: Published: Wed, 30 Jan 2019 09:52 PM (IST)Updated: Wed, 30 Jan 2019 09:52 PM (IST)
चुनावी लाभ की मंशा या कुछ अच्छे की ओर सरकार
चुनावी लाभ की मंशा या कुछ अच्छे की ओर सरकार

जागरण संवाददाता, बलिया : केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार अंतरिम बजट एक फरवरी को पेश करेगी। जिसका इंतजार हर वर्ग के लोगों को है। इस बजट में आमतौर पर नई सरकार बनने तक चार महीने के लिए प्रशासनिक कार्यों और विकासपरक परियोजनाओं पर खर्च के लिए अंतरिम बजट संसद में पेश करने की परंपरा रही है। 1999 से पहले यह बजट शाम पांच बजे पेश किया जाता था।

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वर्ष 1999 में पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा के समय यह परंपरा बदली और यह बजट 11 बजे पेश होने लगा। इस बजट को लेकर कई लोगों का मानना है कि इस साल भाजपा सरकार सभी परंपराओं को तोड़ते हुए एक असरदार बजट पेश कर सकती है। जिसमें आयकर में रियायत की सीमा में वृद्धि, किसानों के लिए राहत पैकेज, युवाओं के लिए रोजगार सहित वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोजेक्ट को लेकर भी सरकार कुछ अच्छी घोषणा कर सकती है। वहीं कुछ लोग इस बजट को चुनावी मंशा से जोड़कर भी देख रहे हैं। बजट से पूर्व हर वर्ग के लोगों से इस मुद्दे पर बात करने पर उनके कुछ इस तरह के विचार सामने आए।

-युवाओं को लुभाने की होगी कोशिश

पिछले चार वर्षो के रिकार्ड को देखने पर ऐसा लगता है कि एक बार फिर युवाओं को ठगने का काम केंद्र सरकार द्वारा किया जाएगा। हर साल एक करोड़ रोजगार देने का वादा करने वाली सरकार अपने वादे को पूरा करने में पूरी तरह असफल रही। लोकसभा चुनाव को देखते हुए सरकार अंतरिम बजट में लोक लुभावन वादे जरुर कर सकती है, लेकिन अतीत के अनुभव बताते हैं कि कुछ विशेष हासिल होने वाला नहीं है।

अश्वनी ¨सह

-रोजमर्रा की वस्तुओं के घटे दाम

रोजमर्रा की वस्तुओं के मूल्यों में हो रही बेतहाशा वृद्धि पर रोक लगाने के उपाय किये जाने चाहिए। सब्जी से लेकर एलपीजी तक की कीमतों में स्थिरता न होने से घर-गृहस्थी का संचालन काफी मुश्किल हो जाता है। वहीं जीएसटी के नाम पर साज-श्रृंगार के सामान व कपड़ा पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। आम उपयोग की चीजों को जीएसटी से बाहर करने पर सरकार को विचार करने की जरुरत है।

अंजू पांडेय

-सब्सिडी बढ़ाने की सरकार से अपेक्षा

वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोजेक्ट के तहत सरकार द्वारा ¨बदी उद्योग को चयनित किया गया है। इससे जुड़े कारोबारियों को 25 फीसदी सब्सिडी पर अनुदान उपलब्ध कराने की योजना है लेकिन अभी तक यह योजना मूर्त रुप नहीं ले पाई है। इस उद्योग में छोटे कारोबारियों की अधिकता के कारण सरकार को सब्सिडी की मात्रा और बढ़ाने की अपेक्षा है।

कन्हैया अग्रवाल, व्यापारी

-छोटे व्यापारियों पर हो फोकस

अंतरिम बजट को लेकर कारोबारियों में कुछ खास उत्साह नहीं है। जीएसटी की दरों में कुछ परिवर्तन की अपेक्षा जरुर की जा रही है। सरकार को जीएसटी के स्लैब में बदलाव पर विचार करने की आवश्यकता है ताकि छोटे व्यवसायियों को राहत मिल सके। वैसे उम्मीद लोक लुभावन की ही ज्यादा है।

मंजय ¨सह, व्यापारी

-पुरानी पेंशन बहाली पर विचार करे सरकार

बजट को लेकर सरकारी कर्मचारियों में तरह-तरह की आशंकाएं है। वैसे चुनावी साल में टैक्स की छूट सीमा बढ़ाए जाने की उम्मीद की जा रही है। इसके अलावा पुरानी पेंशन की बहाली व संविदा कर्मचारियों के वेतन के संबंध में सरकार द्वारा किए गए वादे को पूरा करने की आशा की जा रही है।

शशिप्रेम देव, सरकारी कर्मचारी -लोक लुभावन होगा बजट

सरकार द्वारा प्रस्तुत किए जाने वाले अंतरिम बजट से कुछ विशेष की आशा करना बेकार है। इस प्रकार के बजट में आमतौर पर लोक लुभावन घोषणाएं ज्यादा की जाती हैं। आम जन को लाभ पहुंचाने वाली योजनाओं पर सरकार का विशेष फोकस होता है। बजट के मार्फत आमजन मानस को साधने का काम किया जाएगा। लिहाजा उसका अर्थव्यवस्था, जीडीपी व मुद्रास्फीति नियंत्रण से कोई विशेष सरोकार नहीं होगा।

डॉ. प्रदीप कुमार श्रीवास्तव,अर्थशास्त्री


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