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नालियों की बजबजाहट से नारकीय बनी है ¨जदगी

जागरण संवाददाता, चितबड़ागांव (बलिया) : स्थानीय कृषि मंडी परिसर स्थित कांशीराम शहरी आवास

By JagranEdited By: Published: Tue, 21 Aug 2018 09:08 PM (IST)Updated: Tue, 21 Aug 2018 09:08 PM (IST)
नालियों की बजबजाहट से नारकीय बनी है ¨जदगी
नालियों की बजबजाहट से नारकीय बनी है ¨जदगी

जागरण संवाददाता, चितबड़ागांव (बलिया) : स्थानीय कृषि मंडी परिसर स्थित कांशीराम शहरी आवास योजना के अंतर्गत निर्मित आवासों में रह रहे लोग नालियों की बजबजाहट गलियों में जमे कूड़े करकट तथा आवासीय कालोनियों के लिए लगे ट्रांसफार्मर में आधा जले होने के कारण काफी कष्ट का जीवन व्यतीत कर रहे हैं। चितबड़ागांव नगर पंचायत के आवास विहीन निर्बल वर्ग के लोगों को आवास मुहैया कराने के उद्देश्य से उत्तर प्रदेश की तत्कालीन मायावती सरकार द्वारा कांशीराम शहरी गरीब आवास योजना के अंतर्गत चितबड़ागांव की मंडी परिसर में खाली जमीन पर 735 आवास निर्मित किए गए। जिनमें विभिन्न वर्गों के निर्धन एवं आवास विहीन लोगों को आवास आवंटित किया गया। इन आवासों में रहने वाले परिवारों के सदस्यों की संख्या जोड़ ली जाए तो पूरी जनसंख्या लगभग चार हजार होती है। इस चार हजार की जनसंख्या वाली इस कॉलोनी में जल निकासी के लिए नालियों का निर्माण कराया गया था। विद्युत आपूर्ति के लिए एक-एक ब्लॉक के लिए एक-एक छोटे-छोटे ट्रांसफार्मर लगाए गए थे। पेयजल की सुविधा के लिए एक नलकूप और पानी टंकी का भी निर्माण कराया गया था। आवास में रहने वाले लोगों का कहना है कि कुछ दिनों तक तो सब कुछ ठीक-ठाक चला लेकिन बाद के दिनों में किसी के द्वारा ध्यान नहीं दिया गया। अब स्थिति यह है कि आवासों से निकलने वाला गंदा पानी नालियों के जाम होने के कारण आवासों के सामने जमा हुआ है। जिससे चारों ओर गंदगी का अंबार है। यही कारण है कि आए दिन इस कॉलोनी में रहने वाले लोगों के बच्चे और बूढ़े विभिन्न बीमारियों से पीड़ित हो रहे हैं। बिजली आपूर्ति की स्थिति यह है कि लगभग आधे ट्रांसफार्मर जले हुए हैं। जिनकी पूछ करने वाला कोई नहीं है। कॉलोनी निवासियों का कहना है कि सफाई कर्मी तो कभी आते ही नहीं हैं। उन्हें यह भी नहीं पता है कि उनकी कॉलोनी में सफाई करने के लिए कर्मचारियों की भी नियुक्ति हुई है या नहीं। इसकी जिम्मेदारी नगर पंचायत की है या नहीं। नतीजन आवासों के आगे पीछे जमा गंदे पानी और नालियों की वजह से लगभग चार हजार की आबादी का जीवन नरकीय बना हुआ है।

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