घाघरा के बाढ़ से सुरेमनपुर दियारांचल में गंभीर हुए हालात
सुरेमनपुर दियारांचल के दर्जन भर गांवों की 50 हजार की आबादी घाघरा के बाढ़ से घिर गई है। लगभग डेढ़ दर्जन गांवों में घुसा घाघरा का पानी। तीन दर्जन से अधिक घर घाघरा में डूब चुके हैं लोग अपना सामान व मवेशियों के साथ सुरक्षित स्थानों पर जाने को मजबूर हो गए हैं। नौकाओं के समुचित व्यवस्था न होने से इस क्षेत्र के बाढ़ पाड़ितों को भारी असुविधा झेलनी पड़ रही है।
जागरण संवाददाता, बैरिया (बलिया): सुरेमनपुर दियारांचल के दर्जन भर गांवों की 50 हजार की आबादी घाघरा के बाढ़ से घिर गई है। लगभग डेढ़ दर्जन गांवों में घुसा घाघरा का पानी। तीन दर्जन से अधिक घर घाघरा में डूब चुके हैं, लोग अपना सामान व मवेशियों के साथ सुरक्षित स्थानों पर जाने को मजबूर हो गए हैं। नौकाओं के समुचित व्यवस्था न होने से इस क्षेत्र के बाढ़ पाड़ितों को भारी असुविधा झेलनी पड़ रही है। घाघरा के तटवर्ती नवका गांव, वशिष्ट नगर, गोपलनगर, शिवाल मठिया, मूंज के डेरा आदि गांव बुरी तरह से घाघरा के बाढ़ के पानी में पिछले 24 घंटे से अधिक समय से घिरे हुए है। बाढ़ से घिरे गांवों के लोगों को फौरी तौर पर कोई राहत मिलती नहीं दिखाई दे रही है।
शिवाल मठिया के प्रधान हेमनाथ यादव, गोपाल नगर के प्रधान प्रदीप यादव, मानगढ़ के प्रधान प्रतिनिधि भूली बिद व वशिष्ट नगर के प्रधान उमाशंकर सिंह से तत्काल राहृत व बचाव की मांग की है।
-फसल नष्ट होने से किसानों की बढ़ी चिता
जासं, फेफना : बाढ़ के पानी से सैकड़ों एकड़ फसल डूब जाने से दर्जनों गांव के किसानों व पशुपालकों के सामने पशुओं के चारा के लिए लाले पड़ गए हैं। सभी के सामने दैनिक उपयोग में आने वाली वस्तुओं की किल्लत का सामना करना पड़ता है। गंगा का पानी घर में घुस जाने से खोंप व बखार में रखा पशुओं का भूंसा व खेत में लगे फसल नष्ट हो गए हैं। मोहन के मठिया, बघड़ा के मठिया, चेरुईयां. बैरिया, तीखा, छोटकी नरही सहित दर्जनों गांव बाढ़ की पानी से पूरी तरह डूब गया है। इलाकाई लोगों का कहना है कि अभी तक राहत समाग्री पहुंचाना तो दूर कि बात है शासन प्रशासन के लोग या क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों तक के लोगों ने हालात का जायजा लेने नहीं पहुंचे। ग्राम प्रधान ओमप्रकाश यादव, पूर्व प्रधान गूडू यादव, पूर्व प्रधान मुकेश भाई, रामाश्रय प्रधान, पिटू गिरी, जगू यादव, नंदेलाल सिंह आदि ने शासन प्रशासन का ध्यान आकृष्ट कराया है। -जुगाड़ की नाव से काम चला रहे बाढ़ पीड़ित
जासं, दोकटी (बलिया): शासन स्तर से चाहे जितने भी दावे किए जाए लेकिन हकीकत यह है कि बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में लोगों की दुश्वारियां बढ़ती जा रही है। जिम्मेदार अधिकारी शासन के मंशा के अनुरूप कार्य करते नहीं दिख रहे हैं। जिससे बाढ़ पीड़ित अपने हाल पर जीने व मरने को मजबूर हैं। इससे ऐसा लगता है कि बाढ़ पीड़ितों की परेशानियों से प्रशासन को कोई लेना-देना नहीं है। ग्राम पंचायत हृदयपुर में नौकाओं की व्यवस्था न होने के कारण लोग जुगाड़ की नाव बनाकर किसी तरह अपना काम चला रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि नाव की व्यवस्था न होने से गांव के पुरुष तो अपना नित्य कार्य किसी तरह कर लेते हैं लेकिन महिलाओं व बच्चों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। यही वजह है कि प्लास्टिक के ड्रमों को जोड़कर जुगाड़ की नाव तैयार बाढ़ पीड़ित अपना काम चला रहे हैं।